Meenakshi Madhur Language: Hindi 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Meenakshi Madhur 2 Dec 2024 · 1 min read असीम सृष्टि सृष्टि की असीमता में खो कर जब मुझे अपनी परीमितता का अहसास हुआ तब मैं एक नन्ही बच्ची सी उसके दामन से जा लिपटी और उस से एक होकर अपनी... Hindi · कविता 21 Share Meenakshi Madhur 2 Dec 2024 · 1 min read विरह व्यथा विरह मोह को गहराता है और मोह से गहराता है दुख दुख से दर्द उपजता है और दर्द से पसीजता है दिल पसीजे दिल से रिसते हैं आंसू और आंसुओं... Hindi · कविता 19 Share