Manu Vashistha Tag: कविता 35 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Manu Vashistha 16 May 2023 · 1 min read बेटियां ✍️_बेटियां ओस की बूंदें और बेटियां एक तरह से एक जैसी होती हैं जरा सी धूप, दुख से ही मुरझा जाती हैं लेकिन दे जाती हैं जीवन, बाग बगीचा हो... Poetry Writing Challenge · कविता 2 429 Share Manu Vashistha 16 May 2023 · 1 min read बीज और बच्चे ✍️बीज और बच्चे __ बीज और बच्चे होते हैं एक जैसे जिनमें छुपी हैं अनंत संभावनाएं सब जानते हैं फिर भी मातापिता कहां मानते हैं बेटियों को रोपते हैं धान... Poetry Writing Challenge · कविता 1 407 Share Manu Vashistha 15 May 2023 · 1 min read बड़े होते बच्चे कविता__ बड़े होते बच्चे घर से दूर शहर या विदेश, पढ़ने या नौकरी पर जाते बच्चे देख उन्हें खुश होती मां! पूरा परिवार, मनाए खुशियां,बांटे मिठाई अंदर अंदर कुछ खोती... Poetry Writing Challenge · कविता 1 307 Share Manu Vashistha 14 May 2023 · 1 min read बेटियां! दोपहर की झपकी सी नवजीवन ___💕 बेटियां!दोपहर की झपकी सी__ बेटियां होती हैं दोपहर की झपकी सी जब भी आती है, उतार देती हैं थकान झपकी देती है नई ऊर्जा, दोपहर बाद सांझ में... Poetry Writing Challenge · कविता 1 214 Share Manu Vashistha 14 May 2023 · 2 min read मां ✍️ मां! मां की कोई उम्र नहीं होती मां बस मां होती है! चिर युवा भी, चिर वृद्धा भी!! छोटी उम्र में बच्चों की देखभाल में खुद को भुला देती... Poetry Writing Challenge · कविता 1 391 Share Manu Vashistha 8 Mar 2023 · 1 min read होली ✍️ होली __ आज लगे हर लड़की राधा,कान्हा निकले टोली में। थोड़ी मस्ती थोड़ी शरारत,होगी ठिठोली होली में। चौक चौराहे गली मोहल्ले, खूब सजेंगे होली में। होलिका का होगा दहन,... Hindi · कविता 377 Share Manu Vashistha 8 Mar 2023 · 1 min read क्या है नारी? क्या है नारी?___ प्रकृति के हर रूप में, जादू है,अनमोल तोहफा है नारी। हर घर का आंगन है, आंगन में उगी तुलसी है नारी। शिव की शक्ति,पुरुष की भक्ति सृष्टि... Hindi · कविता 525 Share Manu Vashistha 26 Jan 2023 · 1 min read बसंत पंचमी का आगाज और जीवन में उल्लास ✍️बसंतपंचमी का आगाज और जीवन में उल्लास! ऋतु बसंत है प्रकृति में, सब ऋतुओं का राजा। हुलसित है तन मन, हर्षित सकल समाजा।। लो! शिशिर को हरा, मैं बसंत फिर... Hindi · कविता 1 143 Share Manu Vashistha 8 Jul 2022 · 1 min read स्त्रियां ✍️प्रकृति में समाया परिवार स्त्रियां! 💃 रोप दी जाती हैं धान सी उखाड़ दी जाती हैं, खरपतवार सी पीपल सी कहीं भी उग आती हैं। स्त्रियां!💃 जीवन दायी अमृता सी,... Hindi · कविता 344 Share Manu Vashistha 30 Jun 2022 · 2 min read सच पर तरस ✍️सच पर तरस! भरे बाज़ार में, सच की दुकानों पर है सन्नाटा। तिजारत झूठ की चमकी है,मक्कारी की बातें हैं। _____ हिना रिज़वी कथा सुनें भागवत की, प्रभु को बहकाने... Hindi · कविता 233 Share Manu Vashistha 17 Jun 2022 · 2 min read पत्र का पत्रनामा ✍️ पत्र का पत्रनामा___ यत्र कुशलम् तत्रास्तु, से शुरू थोड़े लिखे को बहुत समझना से खत्म। जिनको पढ़, पाठक उन्हीं भावनाओं में बह जाए, कुछ प्रेषित पत्र पाठ्यक्रम का हिस्सा... Hindi · कविता 1 2 811 Share Manu Vashistha 8 Jun 2022 · 2 min read मेरे पिता से बेहतर कोई नहीं मां बताती हैं... वीडियो कॉल पर बात भी करवाती हैं कमजोर हो गए हैं पिताजी कुछ नहीं कहते, बस ताकते रहते जीवन की सांध्य बेला में शरीर से ही नहीं,... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 3 4 585 Share Manu Vashistha 5 Jun 2022 · 1 min read पर्यावरण संरक्षण केवल धन ही नहीं, कमाई की परिभाषा। प्रकृति है अनमोल,बचाएं यही अभिलाषा।। मनुज ही एकमात्र, जिसमें है लालच अपार मिट्टी हरती रोगों को, उसे भी किया बीमार।। मिट्टी में लिया... Hindi · कविता 2 2 510 Share Manu Vashistha 24 May 2022 · 1 min read मुकरिया__ चाय आसाम वाली प्रातः उठने और जगने के बीच अलसाई सी, कुछ तो बात है उसे होठों से लगाते ही नींद की खुमारी भाग जाती, ना मिले तो बड़ा तड़पाती मित्र! कौन है... Hindi · कविता 3 525 Share Manu Vashistha 12 May 2022 · 2 min read एक पत्र बच्चों के लिए बोलती *लिखता तुमको यह पत्र, एक उम्र बाद, बूढ़े बच्चे बन जाते हैं और बच्चे पेरेंट्स बन, वही भूमिका परवरिश निभाते हैं। *तुम दोनों हैं जन्म से साथ, जीवन में... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 3 2 1k Share Manu Vashistha 11 Apr 2022 · 1 min read बेटियां! दोपहर की झपकी सी बेटियां होती हैं दोपहर की झपकी सी जब भी आती है, उतार देती हैं थकान झपकी देती है नई ऊर्जा, दोपहर बाद, सांझ में कार्य करने के लिए तो ऐसे... Hindi · कविता 1 2 272 Share Manu Vashistha 20 Jul 2021 · 2 min read मां ✍️ मां! मां की कोई उम्र नहीं होती मां बस मां होती है! चिर युवा भी, चिर वृद्धा भी!! छोटी उम्र में बच्चों की देखभाल में खुद को भुला देती... Hindi · कविता 1 422 Share Manu Vashistha 15 Jul 2021 · 1 min read बाल लीला ✍️ अंखियां चंचल,अधर धरी मुस्कान प्यारी एक फूल गोद, दूजौ खिलत केसर क्यारी।। सोचत गोरी, पहले काम निपटाय लऊं फिर तोहे लऊं गोदी, हर्षित महतारी।। मन में चिंता अनेक, उलझन... Hindi · कविता 537 Share Manu Vashistha 24 Jun 2021 · 1 min read संस्कृति ✍️ बड़े शहरों में फ्लैट संस्कृति!!!! अब घरों में #देहरी नहीं होती!! जिसे देख समझाया था, कभी देहरी पार करने का मतलब, अब घुटनों चलते बच्चे भी, पार कर, हो... Hindi · कविता 3 5 568 Share Manu Vashistha 31 May 2021 · 1 min read बरसात की आस ✍️ आषाढ़ मास कर गया उदास! सावन मास बरसात की आस! बरसों बीते अब तो बरसाओ! ना तरसाओ माना, हैं दोषी हम! पर्यावरण से करी जो छेड़छाड़! भुगत रहा निर्दोष... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 4 541 Share Manu Vashistha 10 May 2021 · 1 min read मानव!अब तो सुधरो धरती माता तप रही, सूरज उगले आग! मानव बने बैरी पर्यावरण के सुरक्षा प्रहरी अब तो जाग! धरती पे कोरोना नभ में टिड्डी जल में भी निसर्ग / (तूफान) प्रकृति... Hindi · कविता 1 1 286 Share Manu Vashistha 3 Feb 2021 · 1 min read बहुत खास हो तुम! हां बहुत खास हो तुम दिल के बहुत पास हो तुम! सूरज की पहली किरण भोर की नई उजास हो तुम! ये प्यार, इश्क, मुहब्बत जीवन का आभास हो तुम!... "कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 6 50 465 Share Manu Vashistha 8 Jan 2021 · 1 min read मुकरिया ✍️_____ ओहो! ये भी ना, उसकी आवारा सी हरकत चूमना माथे, गालों को और लिपटना बेखौफ गले से, कौन है सखी? प्रियतम! नहीं सखी री! वो तो है, उड़ती बालों... Hindi · कविता 4 5 301 Share Manu Vashistha 8 Jan 2021 · 1 min read मुकरिया ✍️_____ रोज सवेरे छत पर दिखती वो भी मेरा इंतजार है करती बस मुझको ही दिखती इधर फुदकती उधर फुदकती कंधे पर सर वो धरती कौन है वो महबूबा परी?... Hindi · कविता 3 277 Share Manu Vashistha 25 Dec 2020 · 1 min read यूं ही नहीं कहलाते चिकित्सक/ भगवान ✍️सभी चिकित्सकों को समर्पित ? यूं ही नहीं कहलाते चिकित्सक/ भगवान ?????? अपनी रातों की नींद छोड़ दूसरों के ख्वाब सजाते हैं भूख प्यास सब छोड़ सेहत दरकिनार कर जाते... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 8 38 613 Share Manu Vashistha 23 Dec 2020 · 1 min read फर्क है जरा सा ✍️ #फर्क है बस जरा सा..... इसलिए #संतुलन जरूरी है। लाड़ और मोह में, भोजन और भोग में, भक्ति और पूजा में, धर्म और आस्था में, ग्रंथ और गाथा में,... Hindi · कविता 5 379 Share Manu Vashistha 22 Dec 2020 · 1 min read सच बताना ✍️ सच बताना हे पुरुष! सच बताना मुझसे कुछ ना छुपाना झूठ के आवरण में बने श्रवण, संत सरीखे एक सच तो बोल कर दिखाना फिर मेरे दिल में जगह... Hindi · कविता 4 5 741 Share Manu Vashistha 22 Dec 2020 · 1 min read गांव की यादें ✍️कविता गर्म चाय में उठती भाप, गुड़,अदरक, लौंग की महक, खयाल मात्र से, एक नशा सा छा जाता, तुम्हारे रूई से मुलायम, सफेद बादल से बाल, पहाड़ों पर रुकी बारिश,... Hindi · कविता 3 2 615 Share Manu Vashistha 21 Dec 2020 · 1 min read प्रेमिका / पत्नियां ✍️ प्रेमिका/पत्नियां प्रेमिकाएं! स्वप्न सुनहरी, तो पत्नियां कटु यथार्थ होती हैं प्रमिकाएं! सतरंगी इंद्रधनुष सी तो पत्नियां मीठी धूप, छांव होती हैं प्रेमिका! श्रृंगार रस की कविता पत्नियां संस्कृति का... Hindi · कविता 6 11 311 Share Manu Vashistha 28 Mar 2019 · 1 min read बहुत खास हो तुम! ✍️बहुत खास हो तुम! हां! बहुत खास हो तुम, दिल के बहुत पास हो तुम! सूरज की पहली किरण, भोर की नई उजास हो तुम! नैराश्य भरी जिंदगी में, जीवन... Hindi · कविता 2 551 Share Manu Vashistha 19 Mar 2019 · 1 min read ओस की बूंदें और बेटियां ✍️कविता ओस की बूंदें और बेटियां, एक तरह से एक जैसी होती हैं। जरा सी धूप, दुख से ही मुरझा जाती हैं। लेकिन दे जाती हैं जीवन, बाग बगीचा हो... Hindi · कविता 2 1 479 Share Manu Vashistha 15 Mar 2019 · 1 min read कब आओगे ✍️ कब आओगे? हमेशा की तरह इंतजार करती निगाहें और मां का यक्ष प्रश्न कब आ रहे हो ........ मेरा भी हमेशा की तरह एक ही जवाब,दिलासा आ रहा हूं... Hindi · कविता 3 354 Share Manu Vashistha 8 Mar 2019 · 1 min read महिला दिवस पर, शुभकामनाएं ✍️ प्रकृति के हर रूप में नारी ही तो है। नारी में नव सृजन, अंकुरण की, धारण करने की अद्भुत क्षमता है। महिला दिवस पर शुभकामनाएं। प्रकृति के हर रूप... Hindi · कविता 2 1 432 Share Manu Vashistha 26 Nov 2018 · 3 min read ओ मां ! तुम धुरी हो घर की ! #ओ #मां, तुम #धुरी हो #घर की! मुझे आज भी याद है चोट लगने पर मां का हलके से फूंक मारना और कहना, बस अभी ठीक हो जाएगा। सच में... Hindi · कविता 4 4 275 Share Manu Vashistha 26 Nov 2018 · 1 min read वो रचियता, तुम ही तो हो, मां ! ✍️ मेरे आगमन की सूचना को, प्रथम जिसने बतलाया, मेरी हरकतों को, अहसास कर जिसने बतलाया, वो तुम ही तो हो मां, हां मां तुम ही तो हो! मेरी पहली... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 8 36 598 Share