Manoj Shrivastava 27 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Manoj Shrivastava 7 May 2024 · 1 min read फोटो डॉक्टर इंजीनियर मनोज श्रीवास्तव https://www.facebook.com/share/p/PqZ2cUogs9eJXaEB/?mibextid=oFDknk Poetry Writing Challenge-3 1 30 Share Manoj Shrivastava 7 May 2024 · 1 min read परिचय (1 ) महज़ सुकरात का डर है 2000 (2 ) जयघोष 2004 (3 ) दुनिया एक मुसाफिर खाना 2013 (4) नए तेवर गजल 2017 (5 )सपन तुम्हारे नयन हमारे 2018... Poetry Writing Challenge-3 1 31 Share Manoj Shrivastava 7 May 2024 · 1 min read होली उसी की होली है https://m.facebook.c होली उसी की होली है जिसकी है सालियां या जिसके नाम आई है भाभी की गालियां बाबा ने जाने क्या कहा दादी के कान में झुर्री भरे गालो पर... Poetry Writing Challenge-3 1 60 Share Manoj Shrivastava 7 May 2024 · 2 min read तुम तो दमदार फुलझड़ी तुम तो दमदार फुलझड़ी हो हम एक पटाखा फुसस् तुम अपने घर में खुश रहो हम अपने घर में खुश मैं बेसिक टेलीफोन प्रिये तुम हो मिस कॉल मोबाइल की... Poetry Writing Challenge-3 1 57 Share Manoj Shrivastava 7 May 2024 · 1 min read जिसको तेल लगाना आए जिसको तेल लगाना आये अपनी गोट बिठाना आये जो जम कर चुटकुले सुनाये अखिल भारतीय कवि कहलाये माहिर हो जो दंद फंद में फर्क न जाने गीत छंद मे ग़ज़ल... Poetry Writing Challenge-3 1 44 Share Manoj Shrivastava 7 May 2024 · 1 min read चोरी की कविताएं पढ़कर चोरी की कविताये पढ़ कर कहलाते हैं बड़े कवी यदा कदा ही कुछ मौलिक सा लिख पाते हैं बड़े कवी , दंद फंद में गुणा भाग में इन्हे महारत हासिल... Poetry Writing Challenge-3 39 Share Manoj Shrivastava 7 May 2024 · 1 min read मुझको ज्ञान नहीं कविता का मुझको ज्ञान नहीं कविता का फिर भी कवि कहलाता हूं बड़े महान दिवंगत कवियों की रचनाएं चुराता हूं , तुलसी सूर कबीरा की चोरी करना आसान नहीं पर ऐसे भी... Poetry Writing Challenge-3 1 41 Share Manoj Shrivastava 7 May 2024 · 1 min read जाने हो कब मयस्सर ************************ 1972 में बैंगलोर में लिखी गई ************************ जाने कब हो मयस्सर दीदार लखनऊ का इकरार लखनऊ का इसरार लखनऊ का * एहसास उनको क्या हो शामे अवध की जन्नत... Poetry Writing Challenge-3 38 Share Manoj Shrivastava 7 May 2024 · 1 min read हम अपने घर में बेगाने हम अपने घर में बेगाने ************************* हम अपने घर में बेगाने वाह ज़माना क्या कहने दुनिया गढ़ लेती अफ़साने वाह ज़माना क्या कहने युग समाज़वादी का मतलब लूट भूख और... Poetry Writing Challenge-3 36 Share Manoj Shrivastava 7 May 2024 · 1 min read हर उम्र है हर उम्र है इक शम्मअ जो तूफ़ां मेँ रवाँ है जलती रहे तो रौशनी बुझ जाय धुवाँ है हर सुबह सलामी का तलबगार है सूरज हर शाम उसे अपनी हकीकत... Poetry Writing Challenge-3 36 Share Manoj Shrivastava 7 May 2024 · 1 min read जिसे जीना हो जिसे जीना हो जीने की रवानी ढूंढ लेता है ये फितरत आदमी की रुत सुहानी ढूढ़ लेता है जिधर भी ढाल पायेगा उधर का रुख करेगा ही समंदर को हरेक... Poetry Writing Challenge-3 34 Share Manoj Shrivastava 7 May 2024 · 1 min read हमने तो अपने नगमों में हमने तो अपने नगमो में दिल का सहज बयान लिखा कभी लिखी बेबस की पीड़ा और कभी तूफ़ान लिखा , जात धरम मज़हब की बातें सब की सब बेमानी हैं... Poetry Writing Challenge-3 26 Share Manoj Shrivastava 7 May 2024 · 1 min read दुनिया में फकीरों को दुनिया में फकीरो को किस बात का रोना है आकाश की है चादर ,धरती का बिछोना है कुछ साथ न लाये थे कुछ लेके न जायेंगे सीधी सी कहानी है... Poetry Writing Challenge-3 28 Share Manoj Shrivastava 7 May 2024 · 1 min read दर्द सुर्खी है दर्द सुर्खी है मेरी ताज़ा ग़ज़ल है जिंदगी रेत की दीवार शीशों का महल है जिंदगी चिलचिलाती धूप में बहते पसीने की तरह बेसबब बेकार सस्ती है सहल है जिंदगी... Poetry Writing Challenge-3 14 Share Manoj Shrivastava 7 May 2024 · 1 min read जिंदगी आगाज है जिंदगी आगाज है अंजाम यारों मौत है इस सफर का आखिरी पैगाम यारों मौत है व्याधियों से टूटता लाचार तन बेबस सा मन ऐसे तन मन के लिए इनाम यारों... Poetry Writing Challenge-3 34 Share Manoj Shrivastava 7 May 2024 · 1 min read सब कुछ पास हमारे सब कुछ पास हमारे फिर भी वीरानी सी लगती है यही सोचकर यारों हमको हैरानी सी लगती है एक पहेली हम क्यों आए कब जाएंगे और कहां इसको सुलझाने की... Poetry Writing Challenge-3 19 Share Manoj Shrivastava 7 May 2024 · 1 min read दुनिया एक मुसाफिरखाना दुनिया एक मुसाफिरखाना ******** दुनिया एक मुसाफिर खाना लगा हुआ है आना जाना नही जानता कोई यहाँ पर कितने पल है और ठिकाना जब तक रहना इस बस्ती में काम... Poetry Writing Challenge-3 33 Share Manoj Shrivastava 7 May 2024 · 1 min read नीर सा मन नीर सा मन वायु सा अंतःकरण हो है जरूरी स्वस्थ मन का आचरण हो आइये हम आप मिल कर आज सोचे किस तरह से संतुलित पर्यावरण हो हो रही बंजर... Poetry Writing Challenge-3 28 Share Manoj Shrivastava 7 May 2024 · 1 min read सावधान मायावी मृग सावधान मायावी मृग फिर छलने वाला है कहता है इस देश का सूरज ढलने वाला है जिस पुण्य धरा पर खर दूषण रावण संहारक राम हुये पूतना बकासुर कंस आदि... Poetry Writing Challenge-3 43 Share Manoj Shrivastava 7 May 2024 · 1 min read मैं दीपक बनकर जलता हूं मैं दीपक बन कर जलता हूँ तुम सूरज बन कर छा जाओ अपने यश का आलोक वृत्त सारे जग को दिखला जाओ मैं दीपक बन कर जलता हूँ यदि करना... Poetry Writing Challenge-3 26 Share Manoj Shrivastava 7 May 2024 · 1 min read ऐसे प्रश्न कई है ऐसे प्रश्न कई हैं *************"******"************* ऐसे प्रश्न कई हैं जिनका उत्तर मेरे पास नहीं है तुमको मुझ पर मुझको खुद पर अब शायद विश्वास नही है , शिशु ने सहज... Poetry Writing Challenge-3 18 Share Manoj Shrivastava 7 May 2024 · 1 min read क्यों बात करें बीते कल की ======== क्यों बात करे बीते कल की क्यों बात करे हम आगत की जो सत्यम शिवम सुंदरम है वो आज हमारा अपना है कुछ लोग हमेशा जीते हैं बीते कल... Poetry Writing Challenge-3 27 Share Manoj Shrivastava 7 May 2024 · 1 min read महफिल अदब की है महफ़िल अदब की है बिछी कालीन आप की जुर्रत नही कि कर सकूँ तौहीन आपकी अपना वजूद खाक में हमने मिला दिया फिर भी न क्यों कर हो सकी तस्कीन... Poetry Writing Challenge-3 13 Share Manoj Shrivastava 7 May 2024 · 1 min read जो हवा के हैं बगूले जो हवा के हैं बगूले बुलबुले हैँ खुद को फौलादी दिखाने पर तुले हैं ! कोठरी काजल की है जिनका ठिकाना कह रहे हैं दूध के वो तो धुलें हैँ... Poetry Writing Challenge-3 36 Share Manoj Shrivastava 7 May 2024 · 1 min read वक्त के हाथों पिटे वक़्त के हाथो पिटे शतरंज के मोहरे हैं हम खेल जब तक हो न अगला बेसबब हैं क्या करें स्वतः उगते हैं किसी वट वृक्ष पर आश्रित नहीं इस लिये... Poetry Writing Challenge-3 22 Share Manoj Shrivastava 7 May 2024 · 1 min read जब कभी परछाई का कद जब कभी परछाई का कद आपके कद से बड़ा हो आदमी को चाहिये जाकर अन्धेरे मेँ ख़ड़ा हो पान का बीड़ा सदा सम्मान का सूचक रहा है कर ग्रहण ये... Poetry Writing Challenge-3 20 Share Manoj Shrivastava 7 May 2024 · 1 min read महज सुकरात का डर है अन्धेरे को उजाले का , सुबह को रात का डर है जिन्होंने मूँद लीं आँखे उन्हे किस बात का डर है बहुत कमजोर है आधार रिश्तोँ की इमारत का किसी... Poetry Writing Challenge-3 37 Share