manjula chauhan Tag: ग़ज़ल/गीतिका 5 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid manjula chauhan 17 Feb 2024 · 1 min read शाम के ढलते शाम के ढलते ही एक दौड़ सी खत्म हुई, शहर के शोर शराबे की सदा सी खत्म हुई। ढूंढ रहे थे हम भी सपनों को इन आंखों में, पर उससे... Poetry Writing Challenge-2 · ग़ज़ल/गीतिका 1 103 Share manjula chauhan 11 Feb 2024 · 1 min read गुलें-ए-चमन कैसा गुलें-ए-चमन है, कैसी सओख़ बहार है। जिंदगी पर रहते है सितम, ख़ैर जिंदगी से ही प्यार है। मुद्दतें लाख कोशिशें कि है, अब किस्मत से! या तो आर है... Poetry Writing Challenge-2 · ग़ज़ल/गीतिका 1 93 Share manjula chauhan 9 Feb 2024 · 1 min read कैसी कैसी उल्फतों के जाल है ताउम्र लगता है यही हाल है। जिधर देखो उधर हुस्न के मेले है, फिर भी खुश है कि हम अकेले है। मैखानो पर भीड़ से... Poetry Writing Challenge-2 · ग़ज़ल/गीतिका 1 84 Share manjula chauhan 9 Feb 2024 · 1 min read जमाने में जमाने में दिल का सार कोई नहीं बताता, मारते हैं कितने ही खंजर पीठ पर; कायर कभी अपना वार नहीं बताता। होते है घायल कितने ही पर पंछी ऊंचे आकाश... Poetry Writing Challenge-2 · ग़ज़ल/गीतिका 1 96 Share manjula chauhan 10 Jul 2023 · 1 min read दुनिया जमाने में दुनिया जमाने में न जाने कितनी ही ज़िंदगियां पड़ी है, इसी जमाने की भीड़ में कहीं अपनी भी जिंदगी खड़ी है। कुछ गुरबत में तो कुछ सुकून में कट जाती... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 283 Share