कवि आशीष सिंह"अभ्यंत 5 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid कवि आशीष सिंह"अभ्यंत 27 Dec 2022 · 1 min read जीवन की अफरा तफरी जीवन जीना एक कला है हर व्यक्ति प्रकति में ढला है अच्छी बुरी कड़ियों से जुड़ा है इसी अफरा तफ़री में पल पल जला है जीवन जीना एक कला है... Hindi · कविता 316 Share कवि आशीष सिंह"अभ्यंत 27 Dec 2022 · 1 min read पिता बच्चों का सम्पूर्ण इतिहाश है पिता बच्चों की कहानियों का अभ्यास है पिता बच्चों के जीवन का अनपढा उपन्यास है पिता उंगली पकड़कर चलना है पिता बच्चों के झूले का पलना है पिता बच्चों की... Hindi · Poem · कविता 192 Share कवि आशीष सिंह"अभ्यंत 8 Aug 2022 · 1 min read लिपट कर तिरंगे में आऊं एक छोटी सी ख्वाहिश है मेरी बलि की बेदी को मैं चूंम आऊं आऊं हाथों में लेकर तिरंगा या लिपट कर तिरंगे में आऊं भारती मां फिकर तुम न करना... Hindi · गीत 2 331 Share कवि आशीष सिंह"अभ्यंत 7 Aug 2022 · 1 min read सरल हो बैठे तेरी अम्बक की "हाला" में, चित को आज" भिगो" कर बैठे।। शायद कोई "क्षण" जाए जाए, सोंच के यही" सरल " हो बैठे।। मिलन की "आस" लगा कर के हम,... Hindi 2 2 498 Share कवि आशीष सिंह"अभ्यंत 7 Aug 2022 · 1 min read कोरोना काल "प्रचण्ड चंड ज्वाल है!! धरा पे जो सवाल है,लोक भी बेहाल है मन बहुत अचेत है,कुछ नही सचेत है समय की यह लपेट है,कोरोना की चपेट है अजान जान कर... Hindi · कविता 1 1 336 Share