प्रेमदास वसु सुरेखा Tag: मानवता ना मरने दू 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid प्रेमदास वसु सुरेखा 16 May 2023 · 1 min read गुलिस्तां हमारा है *****गुलिस्तां हमारा है***** रंग बिरंगे प्यार की झांकी त्रिरंगो में चक्र है झांका शोभित जिसका सिस हिमालय आनन कानन सब है महका कण से कण से बच्चे बोल उठे ये... Poetry Writing Challenge · असमानता · मानवता का गुण · मानवता ना मरने दू 1 267 Share प्रेमदास वसु सुरेखा 16 May 2023 · 2 min read प्रतिलिपि स्वयं का प्रतिरुप स्वयं का चीत्कार उठी,चिंकार बनी,किस के मन की आवाज बनी। वो राग हुआ,विराग हुआ, किस के जीवन अभिशाप बनी। बैठी इक माँ सोच रही हाँ प्रतिबिंब वो मेरा साकार... Poetry Writing Challenge · मां बेटी · मानवता का गुण · मानवता ना मरने दू 1 131 Share