Faza Saaz 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Faza Saaz 3 Jan 2023 · 1 min read It's not that I forget you It's not that I forget you I often forget to keep the tea water on the stove! it's not that i forget you I often forget my name too! It's... English · Best Poem · Poem 1 247 Share Faza Saaz 3 Jan 2023 · 1 min read ऐसा नहीं है कि मैं तुम को भूल जाती हूँ ऐसा नहीं है कि मैं तुम्हें भूल जाती हूँ मैं अक्सर चाय का पानी चूल्हे पर रख कर भूल जाती हूँ! ऐसा नहीं है कि मैं तुम्हें भूल जाती हूँ... Hindi · Hindi Poem · कविता 2 262 Share Faza Saaz 27 Nov 2022 · 1 min read तो क्या हुआ तो क्या हुआ ज़िंदगी के रस्ते तुम्हारे काँटों से भरे हुए हैं, इन काँटों की चुभन से जो तुम्हारे पैरों से लहू की बूँदें निकलेंगी, एक दिन यही बहते हुए... Hindi · Hindikavita · Kavita · Poem 2 1 268 Share Faza Saaz 13 Sep 2022 · 4 min read अधूरी चाहत पूरे 20 सालों के बाद आज उसे देख रहा था। उसके चेहरे पर वही ताज़गी, वही मासूमियत अब भी बरकरार थी, जो आज से बीस साल पहले थी। मैं वहीं... Hindi · कहानी · लघु कथा 3 1 560 Share Faza Saaz 11 Sep 2022 · 5 min read फिल्हाल विचाराधीन है ये कहानी एक ऐसी लडकी की है, जो ज़िंदगी में आगे बढ़ना चाहती है; IAS बन देश सेवा करना चाहती है । लेकिन 12वीं के बाद ही, 16 साल की... Hindi · कहानी 3 1 277 Share Faza Saaz 30 Aug 2022 · 5 min read रहने वाली वो परी थी ख़्वाबों के शहर में शहर में था उसका एक शीशे का महल। उस महल में देखा करती थी सतरंगी सपने, उसे क्या पता था सपने झूठे निकलेंगे सारे। हुआ यूँ कि एक दानव की... Hindi · कहानी · लघु कथा 1 273 Share Faza Saaz 21 Aug 2022 · 1 min read हर पल रंग बदलती ज़िंदगी कभी ग़म की धूप, कभी ख़ुशियों की छाँव ज़िंदगी, लगती जैसे हम- मिजाज़ ज़िंदगी, कभी रुलाती, कभी हँसाती ज़िंदगी, हैराँ करती, कभी परेशाँ करती ज़िंदगी लगती सहेली सी नखरीली ज़िंदगी,... Hindi 3 1 230 Share Faza Saaz 16 Jul 2022 · 1 min read एक बावली सी लड़की थी एक बावली सी लड़की, बड़ी ही ज़िद्दी थी, बस अपनी ही मनमानी करती थी वो, और नकचढ़ी भी कहते थे लोग उसे, पर थी बड़ी ही मासूम भी, भोली-भाली... Hindi · कविता 4 1 1k Share Faza Saaz 16 Jul 2022 · 2 min read कल शाम जो मैं टहल रही थी कल शाम जो मैं बरामदे में टहल रही थी, देखा मेरे घर के सामने जो बूढ़ा शजर खड़ा था, मुझे देख मंद- मंद मुस्कुरा रहा था, बाहें पसारे मुझे पास... Hindi · कविता 2 2 327 Share Faza Saaz 16 Jul 2022 · 2 min read बेटियाँ विदा हो जाती हैं तो, पर छोड़ जाती हैं अपने मन को बाबुल की देहरी पे ही ( मन उनका सिसकता पड़ा रह जाता है बाबुल की देहरी पे) बेटियाँ विदा हो जाती हैं तो, पर छोड़ जाती हैं अपने मन को बाबुल की देहरी पे। फिर बेचारा मन पड़ा सिसकता रह जाता है वहीं देहरी पर ही, वो... Hindi · कविता 5 10 347 Share