कुमार अविनाश 'केसर' Language: Hindi 4 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid कुमार अविनाश 'केसर' 29 May 2024 · 1 min read हे जगतारिणी हे जगतारिणी। वीणाधारिणी। जगजननी माँ शारदे ! तू जग को तार दे ! ये जग अँधेरे से घिरा है। आदमी पद से कितना गिरा है! सबको ज्ञान का सार दे... Poetry Writing Challenge-3 60 Share कुमार अविनाश 'केसर' 29 May 2024 · 1 min read कहीं तीसी फुला गईल कहीं तीसी फुला गईल, कहीं मिसरी घुला गईल, ई बसन्त आवत-आवत, हियरा जुड़ा गईल ! लीचियो के डारी मोजर, अमवो के गाछ साजल, कोईली बिदेसी आके, सब डार-पात नाचल ।... Hindi 1 35 Share कुमार अविनाश 'केसर' 29 May 2024 · 1 min read मज़दूर मेरी मेहनत तेरे घर की चावल- रोटी बनती है, मेरे पाँव के छालों से तेरा घर फूलता-फूलता है, पीठ हमारी जलती है तो चूल्हा तेरा जलता है, मेरी थाली की... Hindi 48 Share कुमार अविनाश 'केसर' 11 Feb 2022 · 1 min read वजूद ये खामोश, काली रातें, क्यों घूरती हैं मुझको! एक नन्हा -सा दीया तो हमने अपने लिए जलाया था। बहुत देखा है, ज़माने के सितारों का कमाल ! सुबह होते ही... Hindi · शेर 199 Share