Karishma Chaurasia 7 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Karishma Chaurasia 24 May 2024 · 1 min read अब ना देखो फिर से मिलके अब ना देखो फिर से मिलके इस बार नया शख्स पाओगे अब होगा नहीं शायद प्यार फिर से टूटे हुए को अब कहाँ सजा पाओगे। अब ना देखो फिर से... Hindi · कविता 130 Share Karishma Chaurasia 17 Sep 2021 · 1 min read मेरी याद दिलाती होगी ही वो पार्क कि अशोका के नीचे किनारे में रखी लकड़ी की टूटी सी बैठक की तख्ती मेरी याद दिलाती होगी ही …. वो ऑटो की किच किच ई रिक्शे की... Hindi · कविता 2 693 Share Karishma Chaurasia 18 Apr 2021 · 1 min read एक अंधकार -कोरोना 2 एक अंधकार जैसा फिर छा रहा है।। हृदय में भय मंडरा रहा है वैसे तो अब तक सब ठीक है पर फिर भी ना जाने क्यों कोई दुख सता रहा... Hindi · कविता 1 1 522 Share Karishma Chaurasia 17 Jan 2021 · 1 min read आज कोई स्वस्थ नही है *आज कोई स्वस्थ नही है* आज कोई स्वस्थ नही है देह दर्द नहीं है ज्वर नहीं है तब भी तू स्वस्थ नही है कर्ज नही है कोई फर्ज नहीं है... Hindi · कविता 1 5 387 Share Karishma Chaurasia 4 Oct 2020 · 1 min read बालविवाह मुन्नी कहती है- मां बाबा बना कर मैंने तुमको भगवान बनाया था और आपने मुझको ब्याह के जैसे ऋण चुकाया था। माना कि इस समाज के खातिर तुम मजबूरी के... Hindi · कविता 1 419 Share Karishma Chaurasia 11 Jun 2020 · 2 min read मजदूर वह शानदार , शमशीर है, तन से दिखता फकीर है। फौलाद सा सीना है उसका, और पत्थर का शरीर है। इस अंधविश्वास से निकलो भइया की मजदूर लाचार है। मजदूर... Hindi · कविता 4 5 676 Share Karishma Chaurasia 4 Jun 2020 · 1 min read इंसानियत एक किस्सा सुनाते हैं - कि महफिल सजी थी इंसानों की सब थे बैठे हुए , और बैठक में प्रश्न भी इंसानियत पर खड़े हुए । की जज्बाती सवाल -जवाब... Hindi · कविता 4 8 1k Share