Kapil Kumar Gurjar Tag: कविता 3 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Kapil Kumar Gurjar 6 May 2024 · 1 min read अस्तित्व कौन चाहता है? अपना अस्तित्व खो देना ऐसे किसी धीमी हवा में उड़ते रेत की तरह पतझड़ में पेड से गिरते पत्तों की तरह घुप्प-अंधेरे में जलते दीयें से टकराते... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 60 Share Kapil Kumar Gurjar 6 May 2024 · 1 min read रातें क्या, तुमने कभी पत्थर तोड़े है? उस काली स्याह रात में जिससे हम समझौता करते है एक गहरी नींद में सोने का या फिर एक ऐसा नाटक करते है जैसे-हम... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 53 Share Kapil Kumar Gurjar 16 May 2023 · 1 min read जंगल जब जंगल विरोध करें कुल्हाड़ियों का एक तिल्ली लेकर उसमें डाल दो, चंद मिनटों बाद देखोंगे उसी हरे-भरे जंगल को स्याह होते। Poetry Writing Challenge · कविता 310 Share