जगदीश शर्मा सहज Tag: घनाक्षरी 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid जगदीश शर्मा सहज 7 Jul 2023 · 1 min read आधुनिक अपराध राजनीति के नशा में, मद्यपान की दशा में, देश को लजा रहे हैं,नीच कर्म के लिए। चेतनाएं खो चुके हैं, ज्ञानशून्य हो चुके हैं, फ़र्ज़ क्या निभाएंगे ये,राष्ट्र धर्म के... Hindi · घनाक्षरी 448 Share जगदीश शर्मा सहज 27 Jun 2023 · 1 min read योग सूरज के उगने से, पहले जो जाग जाते, बलवान तन पाते, करते वो योग हैं। योग को बताने वाले, दुनिया में लाने वाले, योगनिष्ठ ऋषि-मुनि, भारतीय लोग हैं।। योग एक... घनाक्षरी 102 Share जगदीश शर्मा सहज 24 Feb 2023 · 1 min read ग्रीष्मऋतु बागों की बहार गई , फूलों की विसात गई, कृषको की साख गई , जीव जंतु त्रस्त है ! नदी ताल सूख गए , कुएँ सारे रीत गए, पंछी भी... Hindi · घनाक्षरी 176 Share जगदीश शर्मा सहज 24 Feb 2023 · 1 min read जय महाशिव जय श्री राजराजेश्वर महादेव🙏 शिव के अनंत रूप, ज्योतिर्लिंग हैं अनूप। शिव रुद्र कालरूप, सृष्टि में अनंग हैं।। शिव से समस्त लोक, शिव की कृपा अमोघ। शिव के त्रिनेत्र, दूत,... Hindi · घनाक्षरी 123 Share जगदीश शर्मा सहज 24 Feb 2023 · 1 min read जलधर बरसे जनहरण घनाक्षरी (पहले ३० वर्ण लघु,अंत में दीर्घ होता है) उमड़-घुमड़ कर, गिरि, नभ-तल, पर। झर-झर, रुचिकर, जलधर बरसे।। गगन विकटतम, नग-सम,अनुपम। अप्रकट रवि-शशि, तम दिवि भर से ।। सरस... Hindi · घनाक्षरी 118 Share जगदीश शर्मा सहज 24 Feb 2023 · 1 min read जय अंजनिनन्दन रामचन्द्र जी से स्नेह, बज्र के समान देह। वीर हनुमान, माता अंजनी के लाल हैं।। बुद्धि के निधान हैं जो जानते हैं छन्दशास्त्र। काटते समस्त जाल, राक्षसों के काल हैं।।... Hindi · घनाक्षरी 126 Share जगदीश शर्मा सहज 24 Feb 2023 · 1 min read प्रार्थना प्रार्थना करूँ पुकार, शब्द ज्ञान दो अपार। नित्य हों नए विचार, देवी माता शारदे।। कण्ठ से झरें सुगीत, भावना रहे पुनीत। लेखनी रहे सजीव, काव्य को सँवार दे ।। भावपुष्प... Hindi · घनाक्षरी 150 Share जगदीश शर्मा सहज 16 Apr 2022 · 1 min read अंजनीनन्दन हनुमानजी रामचन्द्र जी से स्नेह, बज्र के समान देह। वीर हनुमान, माता अंजनी के लाल हैं।। बुद्धि के निधान, गुण निधान छंद-शास्त्र के। काटते समस्त जाल, राक्षसों के काल हैं।। खौलता... Hindi · घनाक्षरी 202 Share जगदीश शर्मा सहज 2 Feb 2022 · 1 min read अश्लीलता से बचें पुरुष हो या नारी जो भी नग्नता परोसते, उनका समाज में विरोध होना चाहिए। नौनिहाल देश के अबोध हैं समझ नहीं , उनको अश्लीलता के रोग से बचाइए। संस्कारों की... Hindi · घनाक्षरी 2 1 244 Share जगदीश शर्मा सहज 21 Jan 2021 · 1 min read शीतल हवा बर्फ़ की सफेद ओस, ओढ़कर हवा चली। आग के जले अलाव, धुंध के उठे गुबार ।। शांत सुंदरी सुबह, विभावरी विलासिनी। बाग में वसन्त सम,फूल की खिली बहार।। इंदु सा... Hindi · घनाक्षरी 1 6 369 Share