Jitendra Kumar Noor Language: Hindi 11 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Jitendra Kumar Noor 2 Jan 2024 · 1 min read ग़ज़ल हवा-पानी पे है पहरा तुम्हारा यहाँ हर चीज़ पर कब्ज़ा तुम्हारा उसी के हिस्से में आएगी बोटी रहेगा बनके जो कुत्ता तुम्हारा ज़रा तुम रुख़ से ये परदा हटाओ ज़माना... Hindi · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका 1 146 Share Jitendra Kumar Noor 2 Jan 2024 · 1 min read ग़ज़ल यहाँ हर शख़्स है अपना तुम्हारा क्या मैं कुछ भी नहीं लगता तुम्हारा मैं अपनी आँखें कैसे दान कर दूँ मेरी आँखों में है सपना तुम्हारा यहाँ से रास्ते अपने... Hindi · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका 1 223 Share Jitendra Kumar Noor 6 Jun 2023 · 1 min read ग़ज़ल देशभक्तों से न बच पाएगा एंटी-नेशनल जब कभी भी हाथ में आएगा एंटी-नेशनल अन्धश्रद्धा का ये कैसा दौर है इस देश में जो करेगा प्रश्न कहलाएगा एंटी-नेशनल बँट रहे हैं... Hindi · कविता · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका 2 165 Share Jitendra Kumar Noor 1 Jun 2023 · 1 min read ग़ज़ल सच बयानी का नहीं बस चुप्पियों का दौर है अब हमारे शह्र में ख़ामोशियों का दौर है चैनलों पर लड़ रहे हैं लोग कुत्तों की तरह देखकर लगता है जैसे... Hindi · कविता · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका 4 1k Share Jitendra Kumar Noor 23 May 2023 · 1 min read ग़ज़ल हम उनकी क़ैद से कुछ क्षण को क्या बाहर निकल आये उन्हें चिंता है कैसे चीटियों के पर निकल आये वो जिस बस्ती को पूरे मुल्क की गद्दार कहते हैं... Hindi 2 691 Share Jitendra Kumar Noor 7 Mar 2023 · 1 min read ग़ज़ल छोटी बहुत ही लगती है तब कद में शायरी होती है जब किसी की खुशामद में शायरी पहले विधान बनते थे होती थी मंत्रणा अब हो रही है देश की... Hindi 3 536 Share Jitendra Kumar Noor 14 Feb 2023 · 1 min read ग़ज़ल देर शब तक जागना अच्छा नहीं तीरगी से जूझना अच्छा नहीं ये निगाहें मार डालेंगी मुझे आपका यूँ देखना अच्छा नहीं बोलने से पहले सोचा कीजिए थूक कर फिर चाटना... Hindi · कविता · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका 1 399 Share Jitendra Kumar Noor 9 Feb 2023 · 1 min read ग़ज़ल लहरते पानी में जैसे हबाब टाँक दिये हमारी आँखों में किसने ये ख़्वाब टाँक दिये मिला न फूल तो अपने गुलाबी होंठों से हमारे कोट पे उसने गुलाब टाँक दिये... Hindi · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका 1 231 Share Jitendra Kumar Noor 2 Jan 2023 · 1 min read ग़ज़ल सारे बहरों के कान खोलेंगे जब ये गूँगे ज़बान खोलेंगे किसको मालूम था कि मज़हब की लोग इक दिन दुकान खोलेंगे दिल के पन्ने भी खोलिए कब तक सिर्फ गीता... Hindi · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका 1 543 Share Jitendra Kumar Noor 2 Jan 2023 · 1 min read ग़ज़ल बहार बाग़े इरम और रंगो-बू क्या है तेरे बग़ैर मुझे इनकी आरज़ू क्या है गिरा दिया है जो तुमने मुझे निगाहों से तुम्हारी आँख में मुझ जैसा हू-ब-हू क्या... Hindi · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका 4 2 851 Share Jitendra Kumar Noor 20 Jun 2022 · 1 min read ग़ज़ल छप गये अख़बार में और टीवियों में आ गये हम तो तुमसे इश्क करके सुर्ख़ियों में आ गये ख़्वाब से निकले थे तुम जब नींद से जागे थे हम और... Hindi · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका 5 6 784 Share