जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया Tag: पुरूष विरह के दोहे 6 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया 9 Aug 2024 · 1 min read रहौ मुळकता राजवण, नैणां भरौ न नीर। रहौ मुळकता राजवण, नैणां भरौ न नीर। सवार सुपणै आवसूं , मनडैं धर'लो धीर।। जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया...✍️ Rajasthani · पुरूष विरह के दोहे 85 Share जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया 3 Aug 2024 · 1 min read नही आवड़ै आप बिना नह आवड़ै, अंतस घणौ अधीर। नैणां छळकै नीरड़ौ, धांरू किणविध धीर।। जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया...✍️ Rajasthani · पुरूष विरह के दोहे 59 Share जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया 3 Aug 2024 · 1 min read प्रीत कळपू कितरौ गोरड़ी, दरद न जांणै कोय। प्रीत थांरली कारणैं, हियौ भरीजै मोय।। जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया..✍️ Rajasthani · पुरूष विरह के दोहे 51 Share जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया 2 Aug 2024 · 1 min read विरह रस क्यूं कळपावै कांमणी , क्यूं नह लेवै सार। विरह वेदना जळ रयो, क्यूं थूं राखै खार।। जितेन्द्र गहलोत 'धुम्बड़िया'...✍️ Rajasthani · पुरूष विरह के दोहे 47 Share जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया 2 Aug 2024 · 1 min read विरह रस प्रीत करी परबस हुयौ , चुभै काळजै सूळ। कांमण किणविध पांतरी, कांई रहगी भूल।। जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया...✍️ Rajasthani · पुरूष विरह के दोहे 24 Share जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया 2 Aug 2024 · 1 min read विरह रस बिछडण थांरो बावळी , मनड़ा मांय कळैह। विरह अगन मं दाझणों, अंतस आग बळैह।। जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया...✍️ Rajasthani · पुरूष विरह के दोहे 46 Share