बलकार सिंह हरियाणवी 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid बलकार सिंह हरियाणवी 10 Feb 2021 · 1 min read मुलाकात नये साल का दूजा महिना, प्यार भरी मुलाकात लिखुं.... तेरे प्यार का ईसा नशा, ले कागज पे दो बात लिखुं.... पूनम जैसी हुई चांदनी, दिन को दिन या रात लिखुं....... "कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 18 42 596 Share बलकार सिंह हरियाणवी 15 Jan 2021 · 1 min read "555आले बिस्कुट "555आले बिस्कुट" वें बचपन आले दिन बाबू , एक बार दोबारा ल्यादे नै। वो 555 आले बिस्कुट बाबू , मनै एक बै फेर दुवादे ने।। पांव के ऊपर थाली धर... Hindi · कविता 2 2 391 Share बलकार सिंह हरियाणवी 5 Jan 2021 · 1 min read "कोरोना के दौर में " कोरोना के दौर में हमनें, कुछ खोया, कुछ पाया है। जीवन है अनमोल हमारा, जीना हमें सिखाया है। दो गज की दूरी को हमनें, जीवन में अपनाया है। ज्यादा घुलने... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 14 56 808 Share बलकार सिंह हरियाणवी 15 Nov 2019 · 1 min read * लाडो * *लाडो* मात-पिता की दुनिया-दारी, घर आंगन की है फुलवारी, दादा-दादी ने आस तेरे तै, उनका मान बढाइये लाडो । ना गलत कदम तूं ठाईये लाडो । सोच समझ के चलना... Hindi · कविता 2 1 474 Share बलकार सिंह हरियाणवी 13 Nov 2018 · 1 min read "माँ" नन्हे से बच्चे की वो जाँ होती है, आखिर माँ तो ईक माँ होती है। भूख,प्यास, संकट के समय, कड़ी धूप में, वो छाँ होती है। आखिर माँ तो ईक... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 24 80 731 Share बलकार सिंह हरियाणवी 11 Nov 2018 · 1 min read आदमी...? आदमी क्यूं आदमी से दूर हो गया, क्यूं पैसे का ईतना गरूर हो गया ईक ईशारे पे घरवाले नाचते थे जिसके, आज वो अकेला बेठने पे मजबूर हो गया। संस्कारो... Hindi · कविता 9 6 347 Share बलकार सिंह हरियाणवी 10 Jan 2017 · 1 min read बाबुल के आगंन की चिडियां बाबुल के आंगन की चिडियां ईक दिन तो तुझे उड़ जाना हे, जिसके संग में खाई खैली छोड़ उसी को जाना हे , महक रही उपवन की डाली घर आंगन... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 4 632 Share बलकार सिंह हरियाणवी 6 Jan 2017 · 1 min read कभी अलविदा ना कहना आप सब की नजर मेरी नई कविता... "कभी अलविदा ना कहना" मां की ममता,पिता के प्यार को बहन के स्नेह,भैया के दुलार को गुरू के आदर,अतिथि के सत्कार को जीवन... Hindi · कविता 3 2 743 Share बलकार सिंह हरियाणवी 27 Oct 2016 · 1 min read बाबुल की बिटिया बाबुल के आंगन की चिडि़यां ईक दिन तो तुझे उड़ जाना हे, जिसके संग में खाई खैली छोड़ उसी को जाना हे , महक रही उपवन की डाली घर आंगन... Hindi · कविता 4 1 855 Share बलकार सिंह हरियाणवी 11 Oct 2016 · 1 min read किसान की दशा उठ सवेरे मुंह अंधेरे पकङे दो बैलोँ कि डोर,वो जाता खेतोँ कीओर खुन के आंसू सोखता किसान,वो खेत जोतता किसान! भूख ओर पयास मेँ,जिने की आस मेँ,खुद कि तकदीर ढूंढता... Hindi · कविता 4 1 850 Share