ila singh 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid ila singh 13 Jun 2017 · 1 min read कविता शाम जब उतरती है ****************** शाम जब उतरती है आँगन में मन कहीं भागता है पीछे लौटते पक्षियों को देखकर आकाश में मन रिहाई माँगता है मन रिहा हो भी... Hindi · कविता 2 323 Share ila singh 14 May 2017 · 1 min read कविता माँ, तुमको मुक्त कर लूँ ********************** सूखे पत्ते -सी झर रही हो पल-पल बदल रही हो वक्त की बंद मुट्ठी से रेत-सी फिसल रही हो चाहूँ ..मुट्ठी बंद कर लूँ... Hindi · कविता 485 Share ila singh 11 May 2017 · 1 min read कविता वो पुरानी घर-गली **************** सोचती हूँ तोड़ दूँ बंधन सभी और मुक्त हो उडूँ गगन की गली या लौट जाऊँ बन वही नन्ही चिरैया वो ही बचपन की पुरानी घर-गली... Hindi · कविता 1 270 Share ila singh 5 Mar 2017 · 1 min read कविता मुद्दत बाद ********* पहचाने हुए रास्ते कितने बदल जाते हैं, मुद्दत बाद चलो तो फिर नए से लगते हैं । वक्त मिटा देता है सारे पहचाने निशान, मुद्दत बाद मिलो... Hindi · कविता 326 Share ila singh 20 Feb 2017 · 1 min read कविता वो मेरा गाँव ************ जो छोड़ आई थी अपनी ठाँव वो गली मुहल्ले ,अपना गाँव क्या अब भी वैसा ही होगा सुबह का सूरज शाम की छाँव । छत पर... Hindi · कविता 536 Share ila singh 7 Feb 2017 · 1 min read कविता खाली घरोंदे ********** पंछी उड़ चुके हैं घरोंदे खाली पड़े हैं वीरान से घरों में बचे लोग कुछ पड़े हैं यादों में हर वक्त बीते मंजर सजे हुए हैं निगाहों... Hindi · कविता 254 Share ila singh 1 Feb 2017 · 1 min read बसंतोत्सव ???बसंतोत्सव??? "बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं" ?????? आया है बसंत फिर से आओ प्रिय कुछ प्रीत बुनें जीवन की आपाधापी छोड़ फिर दिल के कुछ गीत बुनें खिलते फूलों से... Hindi · कविता 789 Share ila singh 26 Jan 2017 · 5 min read मेकिंगचार्ज *********** मेकिंगचार्ज *********** "टमाटर किस भाव? "बड़े-बड़े लाल-लाल टमाटर एक तरफ करते हुए बुजुर्गवार ने प्रश्न किया । "सात रूपए किलो , बाबू जी !"सब्जी वाली तराजू सँभालते हुए बोली... Hindi · कहानी 284 Share ila singh 26 Jan 2017 · 5 min read कहानी *********** मेकिंगचार्ज *********** "टमाटर किस भाव? "बड़े-बड़े लाल-लाल टमाटर एक तरफ करते हुए बुजुर्गवार ने प्रश्न किया । "सात रूपए किलो , बाबू जी !"सब्जी वाली तराजू सँभालते हुए बोली... Hindi · कविता 1 1 418 Share ila singh 13 Jan 2017 · 1 min read पट समय के खोलने दो पट समय के खोलने दो ******************** दीप बनकर जलने दो रोशनियों को रंग लेने दो इंतहा हुई कैद की अब खुलकर अब हँस लेने दो राग जो भूले हुए थे... Hindi · कविता 381 Share