हरीश पटौदी 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid हरीश पटौदी 10 Nov 2018 · 1 min read है कितना बेहतर जीवन मेरा(माँ) है कितना बेहतर जीवन मेरा पल पल मैं ये कहता हूँ सुख है दुःख का पता नहीं क्योंकि माँ की शरण में रहता हूँ मिला मुझे जीवन में सब कुछ,मुझे... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 5 33 629 Share