गौरव बाबा Tag: कविता 4 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid गौरव बाबा 19 Aug 2021 · 1 min read छल तुम मृत्यु देते स्वीकार था छल दिया क्या द्वेष था आन अर्पित मान अर्पित रक्त का कण कण समर्पित और अब क्या शेष था विषहीन समझा तुम विषैले क्या ये... Hindi · कविता 5 2 923 Share गौरव बाबा 19 Mar 2021 · 2 min read मेरे संघर्षों के साथी जब जब दुविधाओं ने पांव पसारा घोर मुसीबत मुझ पर डाला परमपिता परमेश्वर ने कुछ परमारथ के साथी भेजे जिनसे मिलकर अधियाए संकट के हर गहरे बादल ना घर के... Hindi · कविता 2 482 Share गौरव बाबा 9 May 2020 · 1 min read अंतर्व्यथा बैठा हूं शांत, सामने मेरे समंदर है उमड़ता है घुमड़ता है या शायद उन्मादों के दरिया में उठता शोर अंदर है कह नहीं पाता कभी क्यूं जज्बात ऊंचे या समंदर... Hindi · कविता 17 32 1k Share गौरव बाबा 3 May 2020 · 1 min read आह्वान असमंजस में विषम दशाएं पैदा करती हैं दुविधाएं द्विमुखी सर्प की भांति चहुंओर लगाए घातें। मन: समर्पण का अपकर्षण चित्रित करती हैं मन के दर्पण पर। चंचलताओं से सजे अश्व... Hindi · कविता 19 29 862 Share