Ghanshyam Poddar Tag: ग़ज़ल 14 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Ghanshyam Poddar 11 May 2024 · 1 min read हुस्न छलक जाता है ........ हुस्न छलक जाता है, जब तुम अंगराई लेती हो, मदहोश हो जाता हूं, जब तुम अंगराई लेती हो। हुस्न झलक जाता है, जब तुम नहाकर आती हो, मन -मुग्ध हो... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 45 Share Ghanshyam Poddar 10 May 2024 · 1 min read खुदा ! (ईश्वर) खुदा ! तू है न, तो क्यों हैं, खौफ का मंजर, बंदों से कह दो कि फेंक दे दरिया में अपने खंजर। सन्नाटा है पसरा, कोई कुछ यहां बोलता नहीं,... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 47 Share Ghanshyam Poddar 19 Feb 2024 · 1 min read चाय ही पी लेते हैं कोई कहां किसी को हमेशा साथ देता है वो तोआप हैं जो बेहिचक पुकार लेते हैं। कोई कहां किसका इंतजार करता है वो तो आप हैं जो बाजार में मिल... Poetry Writing Challenge-2 · ग़ज़ल 1 93 Share Ghanshyam Poddar 11 Feb 2024 · 1 min read वे आजमाना चाहते हैं कभी हमारे पुरखे रसूख वसूल सब एक थे आजादी के आंदोलनों में सुर -आवाज एक थे । लेकिन कभी -कभी वो हमे आजमाना चाहता है लेकिन हर बार हम उसे... Poetry Writing Challenge-2 · ग़ज़ल 57 Share Ghanshyam Poddar 9 Feb 2024 · 1 min read खबरदार होना चाहिए कोई कितना ही दमदार हो डरकर नहीं , हमेशा डटकर रहना चाहिए । सामने वाला कितना ही ओहदेदार हो नजरें झुकाकर नहीं, सर उठाकर रहना चाहिए । दोस्त कितना ही... Poetry Writing Challenge-2 · ग़ज़ल 66 Share Ghanshyam Poddar 8 Feb 2024 · 1 min read इल्म कुछ ऐसा दे इल्म कुछ ऐसा दे मेरे मालिक कि काम आऊं सबों के हौंसला भी कुछ ऐसा दे कि गंगा जमुनो सदा नाज करे. आधे -रास्ते पर न रुक जाएं किसी मुसाफिर... Poetry Writing Challenge-2 · ग़ज़ल 76 Share Ghanshyam Poddar 7 Feb 2024 · 1 min read शोख लड़की ए शोख लड़की, मुझसे तुम यूं ही इतना खफा क्यों है जी चाहे तो खता बता के सजा दे दो या माफ कर दो । आंखों में काजल तुम लगाती... Poetry Writing Challenge-2 · ग़ज़ल 1 120 Share Ghanshyam Poddar 3 Feb 2024 · 1 min read कोहरा और कोहरा आप से मिलने जाना था मुझे, आपके आमंत्रण पर क्या बताऊं- कैसे आऊं ? कोहरा है बड़ा ही तगड़ा । बेशर्म होकर पसरा है , दूर दूर तक घना कोहरा... Poetry Writing Challenge-2 · ग़ज़ल 137 Share Ghanshyam Poddar 2 Feb 2024 · 1 min read कोहरे के दिन सूरज तो उत्तरायण -दक्षिणायन करता रहता है घूमती रहती है घड़ी की सुई ,हर पल चहुं ओर । शीत ओस कुहासा कोहरा कब तक रहेगा यहां दोपहर हो गया है,... Poetry Writing Challenge-2 · ग़ज़ल 129 Share Ghanshyam Poddar 1 Feb 2024 · 1 min read आंखें जुबां से न सही,आंखों से बोलना मुझे जो भी रह गया हो बांकी, कहना मुझे । में न भूलूंगा कभी,चाहे भूल जाओ मुझे जब -जहां मिले थे, ठिकाना याद है... Poetry Writing Challenge-2 · ग़ज़ल 165 Share Ghanshyam Poddar 18 Jan 2024 · 1 min read कोहरा उठने का साहस तो करता हूं मैं भेद नहीं पाता हूं कोहरे का पहरा । कोहरे ने कैद कर लिया है मुझे सर्दी का सागर है कितना गहरा । लिहाफ... Hindi · ग़ज़ल 193 Share Ghanshyam Poddar 15 Jul 2023 · 1 min read शतरंज के मुहरे सूरज के गिर्द अपनी धुरी पर धरती हर पल घूमती है भ्रमण -पथ पर कभी इसके पास आती, दूर जाती है l दिन रात होती है, मौसम बदलता है, ऋतु... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता · ग़ज़ल 3 215 Share Ghanshyam Poddar 12 Jul 2023 · 1 min read फितरत नहीं बदलती है अपनी -अपनी फितरत है, कोई हँसता है, कोई रोता है विष -वमन करता है, कोई घड़ियाली आंसू बहाता है l 360 बार घूमती सेकंड की सुई, 60बार मिनट की सुई... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता · ग़ज़ल 2 90 Share Ghanshyam Poddar 11 Jun 2023 · 1 min read खुदा! तू है न! खुदा! तू है न! तो क्यों है खौफ का मंजर बन्दों से कहो कि फेंक दे दरिया में अपने खंजर. सन्नाटा है पसरा, कोई कुछ बोलता नहीं काना - फुसी... Poetry Writing Challenge · ग़ज़ल 79 Share