Geetesh Dubey Tag: कविता 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Geetesh Dubey 10 Mar 2018 · 1 min read कविता/ गीत ये ज़िंदगी का सार है ***************** कहो भी कुछ कभी कभी जो बात है दबी दबी ये मन से मन का मेल है बहुत हसीन खेल है ये प्यार है,... Hindi · कविता 542 Share Geetesh Dubey 10 Mar 2018 · 1 min read 2 छोटी कविताएँ रात शबनमी धूप गुनगुनी मौसम लेकर आया है । रंग बिरंगे फूल खिल रहे अब उपवन मुस्काया है । ********** ठंडक का एहसास बदन मे निकले शाॅल रजाई हैं ।... Hindi · कविता 494 Share Geetesh Dubey 10 Mar 2018 · 1 min read दीपावली / नववर्ष कविताएँ दीपावली 2017 *************** कुछ दीप जला लेना, इस बार दीवाली मे मन उजियारा करना, इस बार दीवाली मे ! ??????????? कुछ लम्हे दे जाना, कुछ खुशियाँ ले जाना कुछ दर्द... Hindi · कविता 236 Share Geetesh Dubey 25 May 2017 · 1 min read हास्य रचना पहले धनिया लाओ तुम ?पहले धनिया लाओ तुम ? चूं चपाट मत करना हमसे बातें नही बनाओ तुम आॅफिस वाॅफिस बाद मे जाना पहले धनिया लाओ तुम । अपने घर मे काम बहुत हैं... Hindi · कविता 486 Share Geetesh Dubey 6 Apr 2017 · 1 min read (नज़्म ) हमसफर न रहा हम सफर मे रहे हमसफर न रहा चाहतों का यहाँ कुछ असर न रहा । यूँ ही उड़ते रहे फड़फड़ाते हुये बैठना जिस पे चाहा वह शज़र न रहा ।... Hindi · कविता 1 398 Share Geetesh Dubey 6 Apr 2017 · 1 min read ( कविता ) आनंद थोडी हो सुगंध मंद बहके जो अंग अंग प्यार का चढ़ा हो रंग यही तो आनंद है । होय परिवार संग यार दोस्त चार चंद जेब बस न हो तंग... Hindi · कविता 1 4k Share Geetesh Dubey 6 Apr 2017 · 1 min read ( कविता ) रोटियाँ रोटियाँ हाँ रोटियाँ माँ के हाथों से बनीं वो खिलखिलाती रोटियाँ । हाथ माँ के गढ़ चली फिर तवे पर चढ़ चली तृप्ति का बन के निवाला खूब भातीं रोटियाँ... Hindi · कविता 360 Share Geetesh Dubey 6 Apr 2017 · 1 min read ( कविता ) बचपन की यादें वो बचपन की यादें, बड़ी ही सुहानी बहुत याद आते वो किस्से कहानी । वो गुल्ली, वो डंडा, वो कंचों का खेला मुहल्ले मे लगता था, बच्चों का मेला अब... Hindi · कविता 568 Share Geetesh Dubey 6 Apr 2017 · 1 min read (कविता) यादों की पोटल सुबह सुबह एक ख्वाब था आया देकर कुछ संदेश गया कुछ खट्टी सी कुछ मीठी सी यादों की पोटल छोड़ गया ।। आँख खुली तो खोली पोटल कितने ताने बाने... Hindi · कविता 387 Share Geetesh Dubey 30 Mar 2017 · 1 min read प्रेम ( कविता ) प्रेम ***** इक भँवरा जो प्रतिदिन ही उपवन मे जाया करता था रंब बिरंगे फूलों पर मोहित वह मंडराया करता था । फूलों को भी भ्ँवरे का यूँ मँडराना भाता... Hindi · कविता 1 468 Share