Sushil chauhan Tag: Poem 3 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Sushil chauhan 12 Jan 2024 · 1 min read पागल मैं खुद से खुद में बात करता हूं। मैं पागल नहीं मैं दूसरों से अलग दिखाता हूं। मैं जानवर नहीं मैं अंजान बना रहता हूं । लोगों की फरेब वाली... Hindi · Poem 1 107 Share Sushil chauhan 30 Mar 2023 · 1 min read अपने और पराए बुझ गये हैं आशा के दिये अब , अंधेरा ही अंधेरा लगने लगे है। राह तो अब दिखती नहीं , पग पग ठोकर खाने लगे हैं। जिंदगी ने समझा दिये... Hindi · Poem 169 Share Sushil chauhan 4 Mar 2023 · 1 min read बेटी बहुत सिमट गयी अब बिखरना चाहती हूं। घुट घुट कर बहुत जी लिया। अब दुनिया को घूमना चाहती हूं। नदी की जल की तरह कल कल कर यहां से वहां... Hindi · Poem 1 277 Share