Durgesh Verma 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Durgesh Verma 12 Jul 2016 · 1 min read ~*~*~*जिंदगी और हम*~*~*~ जिंदगी और हम *~*~*~*~*~*~* "कुछ रास्ते ढूँढें जीने के वास्ते, कुछ सपने पलकों पर लिए हँसने के वास्ते! अजब मंजर जिंदगी का इत्तफाकन - कोहरे की ओट में हमें आईने... Hindi · कविता 263 Share Durgesh Verma 7 Jul 2016 · 1 min read ~~!!अबोध बालपन!!~~ ~~!!अबोध बालपन!!~~ ******************* "स्वयं के, असुरक्षित भविष्य से, अनजान! गैर जिम्मेदाराना, परवरिश से, हैरान! बचपन नादान, है कैसा यह विधि का विक्षिप्त विधान!!"____दुर्गेश वर्मा Hindi · कविता 744 Share Durgesh Verma 5 Jul 2016 · 1 min read ~~!!~~गर~~!!~~ ~~!!~~गर~~!!~~ ******************** "ग़र, साँचों में ढले दिन-रात होते, लफ़्जों में लरजते ना जज़्बात होते! ग़र, होती आरज़ू मंजिलें, खुद-ब-खुद तराशने की, बैठे, हाथो पे धरे ना हाथ होते! ग़र, होती... Hindi · कविता 262 Share Durgesh Verma 2 Jul 2016 · 1 min read ~~ये कैसी रफ़्तार??~~ ~~ये कैसी रफ़्तार??~~ ****************** "सफर, संभावनाओं में कटता रहा! शीतोष्ण, भावनाओं का बटता रहा! कहीं सर्द थपेड़े, तो कहीं उष्ण झुलस, कहीं वासंतिक बयार में मन उलझता रहा! वह रंगों... Hindi · कविता 487 Share Durgesh Verma 1 Jul 2016 · 1 min read !~जिन्दा लाश~! ***************** !~जिन्दा लाश~! ***************** "मरी आदमियत संग - लाशें जिन्दा हैं! स्वार्थ जिन्दा है! ज़ज्बात शर्मिंदा है!!"___दुर्गेश वर्मा Hindi · कविता 467 Share Durgesh Verma 27 Jun 2016 · 1 min read ~~**!!मन की उहापोह में अक्सर साए का साथ!!**~~ ~~**!!मन की उहापोह में अक्सर साए का साथ!!**~~ !!~~~~!!~~~~~!!~~~~~!~~~~~!!~~~~~!!~~~~!! वो तसल्ली पे तसल्ली मुझे देता रहा! मैं ठण्ड बारिश की बूंदों में पलकें भिंगोता रहा! वो सूरज की किरणें संजोता... Hindi · कविता 526 Share Durgesh Verma 25 Jun 2016 · 2 min read पीपल का पत्ता !!!!~~~~~~~~~~ पीपल का पत्ता ~~~~~~~~~~!!!! ****************************************** पीपल का पत्ता, जब गुलाबी कोपलों की नर्म खिड़कियों से बाहर झाँकते हुए प्राकृतिक परिवेश में अठखेलियाँ करने लगता है तब उसे ज्ञात नहीं... Hindi · लघु कथा 2 718 Share Durgesh Verma 25 Jun 2016 · 1 min read !!नेता!! *********************** ~~~~~!!नेता!!~~~~~ *********************** "मौसमी बारिश में, शब्दों के शातिर पतंगे! उड़ते हुए गुनाह करते हैं। द्युति, सूरज की चुरा लेते हैं!!"______दुर्गेश वर्मा Hindi · कविता 476 Share Durgesh Verma 24 Jun 2016 · 1 min read {निश्छल प्रकृति व छली मानव} {निश्छल प्रकृति व छली मानव} ======================== "मै करती मौन व्रत, तू - मिथ्या फलाहार! मै निराकार की उपासक, तू अर्चक - ब्रह्म साकार! मै मनन की सृजक, तू - मंथन... Hindi · कविता 560 Share