डॉ० रोहित कौशिक Tag: कविता 14 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid डॉ० रोहित कौशिक 22 Jul 2024 · 1 min read सावन 💐💐💐 सावन माह की शुभकामनाएं " मेरे इन छूट -पुट वर्णों में📝📝📝📝👇👇👇 सावन तो हरा वन, न सावन तो हारा वन, हारा मन, हा मन! हा! सावन विन सूना जीवन। हर... Hindi · कविता · प्रकृति की छाव में · प्रकृति प्रेमी कवि · सावन · हमारी प्रकृति हमारा जीवन 1 59 Share डॉ० रोहित कौशिक 21 Apr 2024 · 2 min read पैर, चरण, पग, पंजा और जड़ पैर प्रगतिशील हैं, पैरों ने प्रगति की, पैर , देव-देवताओं के , माता-पिता के, पूज्यों के बने चरण, उन्हें उपमान मिला, चरण-कमल का। कहीं वे परिस्थितिवश, लोक में , पग... Hindi · 25 कविताएं · Poetry Writing Challenge · कविता · नया प्रयोग · विचारणीय 2 127 Share डॉ० रोहित कौशिक 2 Apr 2024 · 1 min read सच का सच सच में सच खोजना कठिन नहीं है , कठिन है तो, सच पचा जाना, उसमें रम जाना, रात - दिन। विचार - व्यवहार, सच हैं तो भी, निभाए कौन सच्चाई... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता · जिंदगीका सच · सच और हकीकत · सच्चाई · सत्य की खोज 3 216 Share डॉ० रोहित कौशिक 18 Mar 2024 · 1 min read सत्य = सत ( सच) यह जीवन का प्रारंभ है सत्य, निश्चित ही अंत भी है सत्य। एक ओर नर तो , दूसरी ओर नारी है सत्य। वज्र कठोर सत्य तो, कुसुम - मृदु भी सत्य।... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · 10 सुनो ज़िंदगी · कविता · सत्य · सत्यकथा · सत्यता_से_सामना 4 132 Share डॉ० रोहित कौशिक 30 Jan 2024 · 1 min read युवा मन❤️🔥🤵 हर बात पर जिद उसकी , हर बात जीतने का अरमान| हर बात पर मुकरने वाला , पर माँ के मन का रखता मान| कुछ उलझा-सा है, अटके मन का,... Poetry Writing Challenge-2 · उम्र · कविता · जीवन के उतार-चढ़ाव की सोच · मन को युवा कीजिए · युवाओं पर कविता 1 125 Share डॉ० रोहित कौशिक 30 Jan 2024 · 1 min read सफर 👣जिंदगी का एक सफर, जनन से आमरण, नासमझी से बौद्धिक बल, सन्तान से अवबोध सफल, हारे को उबारे तक, एक सफर। नादान - सहमा, बाल-छात्र , किशोर, शोरबाज , उग्र मन गात्र,... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · ज़िन्दगी · जीवन के उतार-चढ़ाव की सोच · राही चलता चल · सफ़र 1 150 Share डॉ० रोहित कौशिक 30 Jan 2024 · 1 min read 🎋🌧️सावन बिन सब सून ❤️🔥 सावन तो हरा वन, न सावन तो हारा वन, हारा मन, हा मन! हा! सावन विन सूना जीवन।। हर सावन हर* का सावन, प्रकृति का साजन, पशु-पक्षी का, वृक्ष-वनस्पति और... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · मन का मौसम · सावन · सावन की बूंदेंइश्क · हरमन प्यारा 1 129 Share डॉ० रोहित कौशिक 29 Jan 2024 · 1 min read क्यों अब हम नए बन जाए? क्यों न अब हम नये बन जाएँ? त्यागे याग,पुरा'णी'बातें, रियाज-मिज़ाज, बुनियादी यादें । हाँ-हाँ उनमें, है बर्ताव कटु, बेहिसाब आँसू , बदनसीब 'सकू*, इन्हें विष मानकर ,छोड़ते जाएं। क्यों न... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · खुद से बातें · पुराने संदर्भ · लोग · संसार 1 164 Share डॉ० रोहित कौशिक 29 Jan 2024 · 1 min read अस्तित्व की ओट?🧤☂️ हर ओर ढकोसला, दिखावा, ऊंची डींग, आत्मश्लाघा, आडम्बर-अम्बर, अन्दर तक, कोट के अन्दर खोट, दीन-हीन का गला घोट, अस्तित्व की ओट? मौकापरस्त, बर्ताव, प्रदर्शित व्यस्त, व्यवहार, मीठे बोल के, छल... Poetry Writing Challenge-2 · अस्तित्व · कविता · जीव संरक्षण · जीवन के उतार-चढ़ाव की सोच · जीवन मूल्य 1 133 Share डॉ० रोहित कौशिक 28 Jan 2024 · 1 min read पश्चिम का सूरज पश्चिम का सूरज, लेकर आता है, रजनी का रज। संकेत में, सर्दी की ठिठुरन , गर्मी की नरम शाम। नभ की श्याम आभा, पंछी घर वापसी । दिन-भर थके को,... Poetry Writing Challenge-2 · 25 कविताएं · आज के जीवन की भागदौड़ · कविता · जीवन के उतार-चढ़ाव की सोच · सूरज 1 124 Share डॉ० रोहित कौशिक 28 Jan 2024 · 1 min read परिवार परिवार हैं आसमान, और उसमें चलती उलझनें ही बादल हैं। इनके बरसने से , सरस चल रहा संबंध , नीरस और उग्र होकर, आपसी लंबी टकराहट, की देती है आहट।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · जिंदगी के फैसले समाधान · परिवार · ये जिंदगी · समझदारी 1 174 Share डॉ० रोहित कौशिक 27 Jan 2024 · 1 min read चली ⛈️सावन की डोर➰ बादल गरजा, मिजाज, मौसम का बदला, बदलाव दिखे हर ओर, चली सावन की डोर। दादूर-टर्टराहट, बगुले बहुतायत, आस-पास, जलाशय-किनारे का शोर, सरर •••• समीर, कुसुमरस घोल, चली सावन की डोर।... Poetry Writing Challenge-2 · Badal Par Kavita · कविता · नये साल की पहली बारिश · मन का मौसम · सुन-ओ-बारिश 1 115 Share डॉ० रोहित कौशिक 19 Aug 2023 · 1 min read कतौता कतौता - एक जापानी काव्य रूप जिसमें 17 या 19 शब्दांश होते हैं जो 5, 7, और 5 या 5, 7, और 7 अक्षरों की तीन पंक्तियों में व्यवस्थित होते... Hindi · कतौता · कविता · जापानी कविता शैली · मेरी रचना · हाइकु 291 Share डॉ० रोहित कौशिक 30 Jan 2023 · 1 min read पर्वत पर्वत बने ही नहीं पर्यटन को, ये पृथ्वीरूपी चादर को , ठीक से फैलाने के लिए, रखे गए भारी साधन हैं। इनके तोड़ने से, बन जाते हैं महल ताज, किले... Hindi · आधुनिक कविता · कविता · पहाड़ हैं क्या? · यथार्थ वर्णन · हिमालय यात्रा 2 2 346 Share