डॉ. दीपक मेवाती Language: Hindi 8 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid डॉ. दीपक मेवाती 11 Apr 2023 · 5 min read पुस्तक समीक्षा - अंतस की पीड़ा से फूटा चेतना का स्वर रेत पर कश्तियाँ अंतस की पीड़ा से फूटा चेतना का स्वर - रेत पर कश्तियाँ कविता पढ़ना अच्छा लगता है, उसके भाव में बहना अच्छा लगता है। मनः स्थिति को कविता के शब्दों... Hindi 2 1 337 Share डॉ. दीपक मेवाती 17 Jan 2023 · 7 min read कवि कृष्णचंद्र रोहणा की रचनाओं में सामाजिक न्याय एवं जाति विमर्श सामाजिक न्याय सभी मनुष्यों को समान मानने पर आधारित है| इसके अनुसार किसी भी व्यक्ति के साथ सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक आधार पर किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं... Hindi 2 408 Share डॉ. दीपक मेवाती 20 Aug 2020 · 4 min read अनिल बिड़लान जी द्वारा दीपक मेवाती की कविता की समीक्षा.... समकालीन साहित्यकारों में अपनी जोरदार उपस्थिति दर्ज करवाते हुए भाई नरेंद्र वाल्मीकि जी ने अपने संपादित (कब तक मारे जाओगे) काव्य संग्रह में विशेषकर सफाई कर्मियों की दयनीय हालात को... Hindi · लेख 5 392 Share डॉ. दीपक मेवाती 11 Apr 2020 · 3 min read भीम - कविता भीम-कविता महाराष्ट्र का गाँव अंबावडे, अंबावडे में रहते सकपाल घर उनके जन्मा एक बालक, आगे चल जिसने किये कमाल चौदह अप्रैल अठारह सौ इक्यानवे, जिस पल भीम का जन्म हुआ... Hindi · कविता 2 2 694 Share डॉ. दीपक मेवाती 9 Apr 2020 · 4 min read पुस्तक समीक्षा - 1857 की क्रांति में वाल्मीकि समाज का योगदान वाल्मीकियों के अदम्य साहस की साक्षी पुस्तक – 1857 की क्रांति में वाल्मीकि समाज का योगदान पुस्तक का नाम - 1857 की क्रांति में वाल्मीकि समाज का योगदान लेखक -... Hindi · लेख 1 830 Share डॉ. दीपक मेवाती 4 Jul 2019 · 2 min read मैं भी तो शहीद था मैं भी तो शहीद था बारिसों के बाद जो बीमारियों की घात हो जंग का ऐलान तब मेरी ख़ातिर हो चुका मानकर आदेश को मन में सोच देश को ना... Hindi · कविता 1 260 Share डॉ. दीपक मेवाती 6 Nov 2018 · 1 min read बड़ा बैचैन सा हूँ मैं.... बड़ा बेचैन सा हूँ मैं... बड़ा बेचैन-सा हूँ मैं बड़ी बेताब तुम भी हो अगर हूँ खास मैं तेरा तो मेरा राज तुम भी हो । अगर जो बात मैं... Hindi · कविता 5 2 577 Share डॉ. दीपक मेवाती 5 Nov 2018 · 1 min read माँ जो सोचता, वो बोलता,अपने सारे राज उनके सामने खोलता कुछ सही, कुछ ग़लत, कुछ अच्छा, कुछ बुरा बहुत कुछ झूठा, थोड़ा सच्चा पर अब न कोई बात होगी, हर बात... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 10 42 1k Share