दिनेश एल० "जैहिंद" Tag: मुक्तक 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid दिनेश एल० "जैहिंद" 16 May 2023 · 1 min read [[सरहद पे जवान]] सरहद पे जवान // दिनेश एल० "जैहिंद" देश के रक्षक हैं सरहद पे जवान बम, गोले, तोप, रॉकेट हैं जवान दिन-रात मुस्तैद सेना सरहद पर,, अमन-चैन, गति-प्रगति हैं जवान राष्ट्र... Poetry Writing Challenge · मुक्तक 1 178 Share दिनेश एल० "जैहिंद" 24 Apr 2022 · 1 min read $$पिता$$ पिता : कुछ मुक्तक बाल मेरे पक गये होंठ अब सील गये // गाल मेरे सूख गये दाँत अब हिल गये // आँखें धँस गईं आईना फिर चढ़ गया,, चमड़ी... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · मुक्तक 6 9 511 Share दिनेश एल० "जैहिंद" 14 Dec 2017 · 1 min read मैं और तुम मैं और तुम // दिनेश एल० “जैहिंद” हाथ जोड़के मैं तेरी मिन्नतें करूँ ।। तुम चाहो तो मैं तेरी पईंया पड़ू ।। देकर माफी मुझे गले से लगा लो,, अब... Hindi · मुक्तक 386 Share दिनेश एल० "जैहिंद" 10 Jul 2017 · 1 min read मेंहदी : मुक्तक मेंहदी // दिनेश एल० "जैहिंद" मैं कभी जंगलों में गुमसुम सोई थी । निज अनुपयोगिता पे छुपछुप रोई थी ।। शुक्रगुजार हूँ मैं उन ऋषि-मुनियों की,, उनकी नज़रों में जो... Hindi · मुक्तक 446 Share दिनेश एल० "जैहिंद" 10 Jul 2017 · 1 min read गहना : मुक्तक गहना // दिनेश एल० "जैहिंद" एक गहना आपका एक गहना शर्मो लाज का ।। एक गहना दिव्य द्रव्य का एक सज्जो साज का ।। लग गई जो दाग तन पर... Hindi · मुक्तक 428 Share दिनेश एल० "जैहिंद" 27 Mar 2017 · 3 min read ### मुक्तक ### कुछ मुक्तक ---- (1) भले आगाज़ ऐसा है, मगर अंज़ाम अच्छा हो | जो मिले चार धुरन्धर तो कुछ काम अच्छा हो || हर बिगड़ी वो बना दें, सब मुश्किलें... Hindi · मुक्तक 239 Share दिनेश एल० "जैहिंद" 25 Mar 2017 · 1 min read ****** कुछ मुक्तक "अनुप्रास" अलंकार में ( १ ) छैल छबीली छब्बीस की छोरी | छोकरे संग छत्त पर करे छिछोरी | छेड़-छाड़ छब्बू ने छत पर देखा,, छिप-छिपा के छिपती भागी गोरी... Hindi · मुक्तक 238 Share दिनेश एल० "जैहिंद" 25 Mar 2017 · 1 min read {{{{{ कवि }}}}} [[[[ कवि ]]]] ###_दिनेश_एल०_जैहिंद सोई आत्माअों को जो झंकृत कर दे वही झंकार है कवि ! सोए शौर्य को जो जगाके जोश भर दे वहीं ललकार है कवि ! बेईमानी,... Hindi · मुक्तक 425 Share दिनेश एल० "जैहिंद" 25 Mar 2017 · 1 min read [[[[ परिंदे की भाषा ]]]] (((( परिंदे की भाषा )))) तुम हो कितने कठोर, निष्ठुर, चतुर, चालाक , ख़ुद को आदमी और मुझको परिंदे कह गये ! हम भी तो रहे कितने सीधे-साधे, निरे बुद्धू... Hindi · मुक्तक 542 Share दिनेश एल० "जैहिंद" 11 Jan 2017 · 1 min read बेटियाँ ( १ ) बसी है इनमें मानव जन्म की कुंडलियाँ | छुपी हैं आदि से अंत तक की कहानियाँ | होती हैं हमारी बेटियाँ हमारे परिवार में,, लक्ष्मी, गौरी, माँ... Hindi · मुक्तक 215 Share