धर्मजीत वैद्य Tag: मुक्तक 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid धर्मजीत वैद्य 22 Dec 2017 · 1 min read में रात भर लिखता रहा दर्द कागज़ पर, मेरा बिकता रहा, मैं बैचैन था, रातभर लिखता रहा.. छू रहे थे सब, बुलंदियाँ आसमान की, मैं सितारों के बीच, चाँद की तरह छिपता रहा.. दरख़्त होता... Hindi · मुक्तक 1 498 Share