धर्मजीत वैद्य Tag: ग़ज़ल/गीतिका 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid धर्मजीत वैद्य 31 Dec 2017 · 1 min read जाता हुआ दिसम्बर मयस्सर डोर से फिर एक मोती झड़ रहा है , तारीखों के जीने से दिसम्बर उतर रहा है कुछ चेहरे घटे , चंद यादे जुड़ी गए वक़्त में, उम्र का... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 355 Share