Dharmendra Kumar Dwivedi 7 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Dharmendra Kumar Dwivedi 6 Jun 2020 · 1 min read क्या करते ? शिकायत हाकिमे शहर से किसकी करते, मुनासिब धर्म यही अब हिजरत करते । धूप-छांव तो चलता रहता है अक्सर, फिलहाल हम भूख का चिंतन करते। फितरत उनकी वो सियासत करते,... Hindi · मुक्तक 2 2 472 Share Dharmendra Kumar Dwivedi 5 Jun 2020 · 1 min read वो........ दिखे वो ऐसे फलक में, रचे वो ऐसे पलक में। खिले वो ऐसे उपवन में, मिले वो ऐसे नयनन में। कि.......... मन मयूर नर्तन करने लगा, तार-सितार झंकार करने लगा।... Hindi · मुक्तक 3 6 563 Share Dharmendra Kumar Dwivedi 3 Jun 2020 · 1 min read सोचो जरा....... ये हमारी संस्कृति है, कोई नहीं विकृति है। समझ नहीं पाये हम ही, समझ गए कुछ और ही। घर को लगे भूलने, बाहर लगे तांकने। भागने लगे बेकार दौड़ में,... Hindi · कविता 2 6 540 Share Dharmendra Kumar Dwivedi 3 Jun 2020 · 1 min read रिश्ते........ गुमान था बहुत, अरमान था बहुत। अक्सर बातें होती थीं, कुछ अनकही यादें होती थीं। सोच यह कि काम आयेंगे एक-दूजे के, साथ नहीं छोड़ेंगे एक-दूजे के। स्वप्न ऐसा कि... Hindi · कविता 2 6 282 Share Dharmendra Kumar Dwivedi 3 Jun 2020 · 1 min read एक ही कहानी हर तरफ से ओढ़ा दी गई परेशानी है, वर्किंग हो या नहीं सबकी एक ही कहानी है। समाज की समझ का भला क्या कहें ? अपने हिसाब से बात हमें... Hindi · कविता 3 2 284 Share Dharmendra Kumar Dwivedi 31 May 2020 · 1 min read मदिरा के बहाने....... हाथों की भी सफाई अब मदिरा से होने लगी, गंगाजल का शैत्य-पावनत्व कहीं खो-सा गया। खुद को देश की प्रगति का वाहक बताने वालों, मदिरालय से अर्थव्यवस्था का विकास हो-सा... Hindi · कविता 3 4 275 Share Dharmendra Kumar Dwivedi 30 May 2020 · 1 min read दृष्टि............... निगाहें अनन्त अनन्य की तलाश में, जीवन्त दृष्टि की आस में। सड़क, चौराहे, गलियों से गुजरती हुई, खेत-खलिहानों को ढूंढती हुई। अपनों के बीच पंहुचने की आस लेकर, सांसों को... Hindi · कविता 5 7 303 Share