Durga Bondopadhay 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Durga Bondopadhay 16 Jan 2019 · 1 min read काश! काश! मैं भाँप होती ,और तुम हवा उड़कर तुममें समा जाती।। काश! मैं रेत होती, और तुम समन्दर किनारे में तुमसे मिल जाती।। काश! मैं क़ुरान होती,और तुम आयत पढ़कर... Hindi · कविता 2 2 616 Share Durga Bondopadhay 29 Nov 2018 · 1 min read माँ लल्ला बोला, माँ से, माँ मैं चाँद से खेलूंगा।। माँ बोली, प्यारा लल्ला मेरा, तू चाँद कैसा लेगा??? लल्ला था बड़ा हठी, चाँद से वो जोड़ चुका था नाता।। माँ... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 19 612 Share