Chandrvir Solanki Tag: कविता 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Chandrvir Solanki 14 Nov 2018 · 1 min read जब तक दुःखी जगत की जननी जब तक दुःखी जगत की जननी। जग की किस्मत नहीं सुधरनी।।,,,1 हाहाकार मचा है जग में। पापों का बंधन है पग में। दूर तलक उम्मीदें धुंधली, खून बना है पानी... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 6 25 371 Share