Chandrakant Sahu 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Chandrakant Sahu 5 May 2024 · 1 min read जज़्बात-ए-कलम मैं जज़्बात-ए-कलम हूँ,मैं जज़्बात-ए-कलम हूँ, मैं किसानों के माथे का पसीना हूँ जो , बेशकीमती होकर भी बेकदर है, मैं दीवाल की वो ईंट हूँ जो सोचता है , कि... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · मुक्तक 1 41 Share Chandrakant Sahu 13 Mar 2024 · 1 min read क्या खोकर ग़म मनाऊ, किसे पाकर नाज़ करूँ मैं, क्या खोकर ग़म मनाऊ, किसे पाकर नाज़ करूँ मैं, बेपर परिंदा ठहरा,जमीं छोड़ कैसे परवाज़ करूँ मैं, कोई नही जो आह समझे मेरी,किसे ही आवाज करूँ मैं, तन्हाई ही बसर... Quote Writer 182 Share