भरत कुमार सोलंकी Tag: कविता 11 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid भरत कुमार सोलंकी 23 May 2024 · 1 min read क्यो नकाब लगाती " क्यो नकाब लगाती हो।" सफर पर जाने वाली मुसाफिर तु आपनी सुरत पर क्यों नकाल लगाती है। क्यो घृणित कार्य करने वाली शातिर अपनी सुरत पर उठने वाले जवाब... Hindi · कविता 43 Share भरत कुमार सोलंकी 18 May 2024 · 2 min read हमारी योग्यता पर सवाल क्यो १ हमारी योग्यता पर सवाल क्यो रख तानो को मन पर ख्यालो को खोजते है छोड सवालो को लालची मन का पता नही शादी पर लडको की योग्यता पर सवाल क्यो... Hindi · कविता 32 Share भरत कुमार सोलंकी 13 May 2024 · 2 min read मा ममता का सागर मां ममता का सागर मां बेटे की उम्मीद है मा बेटे की जिद है। मां की फटकार बेटे को सही गलत की पहचान करवाती है मौका लालच बेटे को सब्जीवन... Hindi · कविता 24 Share भरत कुमार सोलंकी 26 Apr 2024 · 1 min read मानव जीवन की बन यह पहचान मानव जीवन की बन यह पहचान अधिकारों से बनी यह अनजान मौका मिला उसे पूर्ण सहभागिता का हाथ जोड़ने का मजबूर हुए अपनी ही प्रतियोगिता का चरम सीमा सुखी बन... Hindi · कविता 1 39 Share भरत कुमार सोलंकी 24 Apr 2024 · 1 min read सम्भाला था सम्भाला था वक्त की जुबान आज बन उफान तनी रही सख्त रख रवैया आज तुफान सनी रही खामोश निगाहो को खामोशी से सम्भाला था दारमदार हमने रख अपनी जुबां से... Hindi · कविता 1 44 Share भरत कुमार सोलंकी 24 Apr 2024 · 1 min read आहट बता गयी विसय आहट बता गयी विधा. मुक्तक दिनांक ८:४;२०२४ चली चलन से चाल मेरी चाहत कर चार धाम माल मेरा चकोर रख चांद चांदनी पर चश्मा चढा आज मोरनी पर चढी... Hindi · कविता 1 38 Share भरत कुमार सोलंकी 22 Apr 2024 · 1 min read रग रग में देशभक्ति 8 रग रग में देशभक्ति आई बात जबान पर तेरे, देश पर मर मिटने की माटी मैने माथे पर मेरे, लगाई सोची कुछ करने की कायर हु नजर में तेरे... Hindi · कविता 38 Share भरत कुमार सोलंकी 22 Apr 2024 · 1 min read सांत्वना " सान्त्वना रास्ता हमारी सतारा के आवाजाही पर आकर खालसा हमारी आरजू पर टिककर वो सामना कर परे हो गयी । . खामोशी खालसा की खास बनाकर खरीद फरोश पर... Hindi · कविता 40 Share भरत कुमार सोलंकी 22 Apr 2024 · 1 min read नाकामयाबी नाकामयाबी मस्तक पर तु हो. विराजमान प्रयास सफलता के हो अन्तरग्यान प्रयाग की बेला पर तेरा हो वरण कर्मठता के प्रयाण से चुमे सदा मेरा वो चरण कर्म की दृढ... Hindi · कविता 1 60 Share भरत कुमार सोलंकी 22 Apr 2024 · 1 min read आहत बता गयी जमीर आहट बता गयी चली चलन से चाल मेरी चाहत कर चार धाम माल मेरा चकोर रख चांद चांदनी पर चश्मा चढा आज मोरनी पर चढी चीते की चतुराई देख चावल... Hindi · कविता 1 42 Share भरत कुमार सोलंकी 22 Apr 2024 · 2 min read मा शारदा मा शारदा वीणा पाणि वरदायिनी शान्त चिन्त ज्ञान दायिनी तव चरणौ मम वन्दिता श्वेत पुष्पे आरुढा सुर ताल जमा ,कर-ताल से अन्धकार हर भाल से मेरे शब्दो मे हो सिध्द... Hindi · कविता 39 Share