Bholanath Kushwaha Tag: कविता 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Bholanath Kushwaha 29 Nov 2018 · 1 min read माँ माँ ------------------- माँ तुम्हारे हाथ हिला देने के बाद अपनी नीव से उखड़ गया मैं मेरा सफर और लम्बा हो गया एक डोर जो सबको बाँधे थी ढीली हो गयी... Hindi · कविता 1 2 318 Share