बिमल तिवारी आत्मबोध Tag: ग़ज़ल/गीतिका 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid बिमल तिवारी आत्मबोध 21 Jan 2022 · 1 min read लोकतंत्र का खेल लोकतंत्र का खेला देखों सत्ता ख़ातिर मेला देखों बदल रहें हैं पाला कैसे ? गुरुओं के सँग चेला देखों बिना बात के झंझट झगड़े बेमतलब का झमेला देखों जगह नहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 264 Share बिमल तिवारी आत्मबोध 31 Dec 2021 · 1 min read *समसामयिक ग़ज़ल : भगवान बेच देंगे* *समसामयिक ग़ज़ल : भगवान बेच देंगे* -------------------------------------------------- सत्ता ख़ातिर अपना मज़हब ईमान बेच देंगे बहु,बेटी, बहन और अपना मकान बेच देंगे बेच कर पा गए सत्ता ग़र ये सभी ज़नाब,तो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 185 Share