Bibha Ranjan Language: Hindi 12 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Bibha Ranjan 7 Apr 2019 · 1 min read कविता मुक्त छंद र्शीर्षक # माँ एक दिन माँ ने मुझसे कहा था जब तुम माँ बनोगी तब तुमको पता चलेगा सुनकर,उस दिन मैं जोर से हँसी थी और बोली भी थी हां!मैं भी माँ बनूंगी... Hindi · कविता 755 Share Bibha Ranjan 1 Apr 2019 · 1 min read गज़ल र्शीर्षक # चाँद बारहा मुझको चाँद कहा मेरे सनम ने चाँद कह मुझमें दाग़ बताया सनम ने तुम चाँद से भी हसीं हो मेरी ज़ानिब हर बार यही कह बहलाया सनम ने आँखों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 289 Share Bibha Ranjan 25 Mar 2019 · 1 min read र्शीर्षक # बस चलिए जिंदगी है धोखा खाते चलिए अपने दिल को बहलाते चलिए कोइ दुश्मन बन कर जो आए उसे भी अपना बनाते चलिए यहां अपना बेगाना कोई नहीं हर रिश्ते को निभाते... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 307 Share Bibha Ranjan 20 Mar 2019 · 1 min read # बचपन फिर ,वही धुन प्रापत कर लूं अपना बचपन नन्हा बचपन एक नई जिज्ञासा मिट्टी चखने की मुंह में दबा रखने की अग्नि के धधकते शोलों को लपक छुने की चाँद... Hindi · कविता 466 Share Bibha Ranjan 15 Mar 2019 · 1 min read # स्त्री # कविता स्त्री तुम मोह माया तुम ममता प्यार तुम हो दया,क्षमा तुम कोमल दुलार तुम सरल कुशल तुम संयमी चरित्र भद्र,शिष्ट ,स्थिर तुम जननी पवित्र तुम शक्ति लज्जा तुम धीरज करुणा... Hindi · कविता 1 389 Share Bibha Ranjan 9 Mar 2019 · 1 min read (कविता) !प्यार ! हां मुझे प्यार है तुम्हारी बातों से प्यार है तुम्हारी ही दी हुई खामोशी है उससे भी प्यार है जिस दिन तुम आए मेरी जिंदगीं में उस दिन से प्यार... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 321 Share Bibha Ranjan 4 Mar 2019 · 1 min read (कविता) !!अहसास !! वो जो हमने तुमने मिलकर बोयी थी अपनी जिंदगीं उसका अहसास आज भी जिंदा है जब तुमने मुझे छुआ कांप उठे थे तुम भी खिल उठे थे हमारे गुनगुनाते अरमान... Hindi · कविता 335 Share Bibha Ranjan 25 Feb 2019 · 1 min read (कविता ) गीतिका !! लौट जाएं !! दिल मेरा कह रहा.. मंद बयार बह रहा.. मुहब्बत भरी.. शरारत हरी.. मौसम में खो न जाएं.. चलो अब घर लौट जाएं.. वो नजारा सुहाना.. वो मदमस्त ज़माना.. घटा दोपहरी...... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 326 Share Bibha Ranjan 22 Feb 2019 · 1 min read (कविता) !! नया सवेरा !! कितनी कथाएं लिखूं,या शब्दों को काब्यों में रचूं शब्द शिथिल हो गए पात्र र्जीर्ण,कान्तिहीन नवीनता के हण सारे पूर्वाग्रह के कटघरें में बंद पड़ गए फिर क्या लेखनी छोड़ दूं... Hindi · कविता 426 Share Bibha Ranjan 11 Feb 2019 · 1 min read कविता !! किताब !! मैं स्याही कोरे काग़ज पर विस्तार चाहती हूं अपने काले नीले रंग से अपनी अमिट छाप छोड़ना मैं काग़ज मैं भी पुराने अपने वक्षस्थल में टंकन की धवनि से अंकित... Hindi · कविता 1 1 338 Share Bibha Ranjan 7 Feb 2019 · 1 min read (कविता) !आते रहना !! मैं ढ़ूंढ़ती रही हर घडी प्रेम में तुम मुझे बिरह की पीडा में नज़र आये आँसूं छलके गालों पर आये ठिठके फिर छलके होठों तक छलक आये मेरे होठों पर... Hindi · कविता 476 Share Bibha Ranjan 4 Feb 2019 · 1 min read गज़ल/ गीतीका चलो फिर से हंसने का सामान जुटाया जाये टूटें दिलों को सिरो को फिर से जोड़ा जाए चाँद हथेली पर नहीं उगता लेकिन फिर भी टूटे हूए तारों से घरों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 442 Share