बसंत कुमार शर्मा Tag: गीत 17 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid बसंत कुमार शर्मा 27 Aug 2018 · 1 min read सब कुछ पाना हमें यहाँ है जीवन की राहें अनजानी, मंजिल का भी पता कहाँ है. चले जा रहे अपनी धुन में, सब कुछ पाना हमें यहाँ है. कहीं बबूलों के जंगल हैं, कहीं महकती है... Hindi · गीत 305 Share बसंत कुमार शर्मा 25 Aug 2018 · 1 min read लोकतंत्र अर्जी लिए खड़ा है बुधिया, दरवाजे पर खाली पेट. राजा जी कुर्सी पर बैठे, घुमा रहे हैं पेपरवेट. कहने को तो लोक तंत्र है, मगर लोक को जगह कहाँ. मंतर... Hindi · गीत 364 Share बसंत कुमार शर्मा 8 Aug 2018 · 1 min read घड़ा - नवगीत स्वर्ण-कलश हो गए लबालब, मैं क्यों अब तक रिक्त पड़ा. जाने कब नंबर आयेगा, यही सोचता रोज घड़ा. नदिया सूखी, पोखर प्यासे, तालाबों की वही कहानी. झरने खूब बहे पर्वत... Hindi · गीत 354 Share बसंत कुमार शर्मा 17 Jul 2018 · 1 min read लट जाते हैं पेड़ - गीत लट जाते हैं पेड़ © बसंत कुमार शर्मा राह किसी की कहाँ रोकते, हट जाते हैं पेड़ इसकी, उसकी, सबकी खातिर, कट जाते हैं पेड़ तपन धूप की खुद सह... Hindi · गीत 334 Share बसंत कुमार शर्मा 2 Feb 2018 · 1 min read चल रस्ता रोकें चल रस्ता रोकें © बसंत कुमार शर्मा, जबलपुर कहीं सड़क पर, कहीं रेल पर चल रस्ता रोकें. सारी फसल कट गई अब कुछ, काम नहीं बाकी. मुन्नी-मुन्ना, भाभी-भैया चल काका-काकी.... Hindi · गीत 325 Share बसंत कुमार शर्मा 15 Sep 2017 · 1 min read सूरज सन्यास लिए फिरता अँधियारा गद्दी पर बैठा, सूरज सन्यास लिए फिरता नैतिकता सच्चाई हमने, टाँगी कोने में खूँटी पर. लगा रहे हैं आग घरों में, जाति धर्म के प्रेत घूमकर. सत्ता की गलियों... Hindi · गीत 263 Share बसंत कुमार शर्मा 19 Jul 2017 · 1 min read तुलसी का वनवास हो गया घर टूटे मिट गए वसेरे, महलों में आवास हो गया. ऊँचे कद को देख लग रहा, सबका बहुत विकास हो गया. भूल गए पहचान गाँव की, बसे शहर में जब... Hindi · गीत 1 1 341 Share बसंत कुमार शर्मा 14 Jul 2017 · 1 min read सरकारी नाखून चुभते सदा गरीबों को ही, सरकारी नाखून. पट्टी बाँधें हुए आँख पर, बैठा है कानून. धर्म और ईमान भटकते. फुटपाथों पर दर दर. फलती और फूलती रहती, बेईमानी घर घर.... Hindi · गीत 483 Share बसंत कुमार शर्मा 12 Jul 2017 · 1 min read देश हो रहा शहरी गाँव ढूंढते ठौर ठिकाना, देश हो रहा शहरी. नहीं चहक अब गौरैया की, देती हमें सुनाई. तोता-मैना, बुलबुल, कागा, पड़ते नहीं दिखाई. लुप्त हो रहे पीपल बरगद, फुदके कहाँ गिलहरी.... Hindi · गीत 1 398 Share बसंत कुमार शर्मा 10 May 2017 · 1 min read कौन भरेगा पेट -नवगीत छोड़ा गाँव आज बुधिया ने, बिस्तर लिया लपेट उपजायेगा कौन अन्न अब, कौन भरेगा पेट गायब हैं घर की खिड़की अब, दरवाजों की चलती. आज कमी आँगन की हमको, बहुत... Hindi · गीत 267 Share बसंत कुमार शर्मा 23 Apr 2017 · 1 min read कितनी करूं पढ़ाई माँ पहन गले में टाई माँ कितनी करूं पढ़ाई माँ जितना बोझा है बस्ते का, उतना मेरा वजन नहीं. होम वर्क मिलता है इतना, होता मुझसे सहन नहीं. कब आँगन में... Hindi · गीत 1k Share बसंत कुमार शर्मा 6 Apr 2017 · 1 min read अब तुम मेरे हाथ खोल दो अब तुम मेरे हाथ खोल दो करूँ आक्रमण जरा बोल दो पत्थरबाजी बहुत हो रही, मानवता दिन रात रो रही, सारी जनता धैर्य खो रही, कब तक सहन करेंगे हम... Hindi · गीत 268 Share बसंत कुमार शर्मा 3 Apr 2017 · 1 min read नाम है बस दीप का जल रही बाती यहाँ पर नाम है बस दीप का आ गयी दीपावली फिर, आस लेकर इक नयी एक कपड़े के लिए बस, आज मुनिया रो गयी देखती है रास्ता... Hindi · गीत 1 1 536 Share बसंत कुमार शर्मा 31 Mar 2017 · 1 min read अक्षर अक्षर प्रीत लिखेंगे जब जब कोई गीत लिखेंगे अक्षर अक्षर प्रीत लिखेंगे ग्वाल, बाल, गोपी, यमुना तट कृष्ण राधिका, वंशी पनघट नंद यशोदा का घर आँगन, मोहन का नवनीत लिखेंगे कलम चलेगी छल... Hindi · गीत 260 Share बसंत कुमार शर्मा 1 Jan 2017 · 1 min read हो नए साल में हाल नया हो नए साल में हाल नया लाये खुशियाँ ये साल नया महलों में जब बल्ब जलें तो, दिखे झोंपड़ी में भी लाइट. हर एक हाथ को काम मिले, न हो... Hindi · गीत 225 Share बसंत कुमार शर्मा 29 Dec 2016 · 1 min read बेला सुंदर कोमल स्वेत धवल सा, फूल रहा बगिया में बेला लू के गरम थपेड़ों से वो तपता ही रहा दुपहरी भर हुई चांदनी रात खिला फिर हर्षित मन से वो... Hindi · गीत 240 Share बसंत कुमार शर्मा 4 Jul 2016 · 1 min read बादल झूम झूम जब छाते बादल जल कितना बरसाते बादल हो जाता है तन मन हर्षित घर घर खुशियाँ लाते बादल आसमान में उड़ते जाते मन को खूब लुभाते बादल मस्त... Hindi · गीत 2 1 602 Share