BADRI NATH ROY Language: Maithili 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid BADRI NATH ROY 18 Oct 2021 · 1 min read मैथिल_के माछी मैथिल मच्छर मैथिल मैथिल मिथिलाक पवन वसात..। घास-पात सेहो अछि मैथिल काँटक सहित मखानक पात..।। चूरा-दही चिन्नियोँ अछि मैथिल तरुआ आ तिलकोरक पात। अँमट अँचार सेहो अछि मैथिल तुलसीफूल... Maithili · कविता 371 Share BADRI NATH ROY 6 Oct 2021 · 1 min read बहिना वाम विधाता ना । तोयद् तोय विहिन पहुँ छथि, तोयज् के नञि आशा। नोरे बोरल जीवन-यौवन, पूरल नञि अभिलाषा ।। बहिना वाम विधाता ना । पावस हमरो नयन समाएल, नेह मुदा अछि प्यासल। परुष... Maithili · कविता 236 Share BADRI NATH ROY 6 Oct 2021 · 2 min read इतिहास इतिहासक अनुपम पन्नामे, घटना भरल अछि अनेक। करमौली मे रहि रहल छलि, मदनी नामक पिलिया एक।। भूखसँ वेकल बेचारी पिलिया, चोरि करै छलि जूता। देने जबाब छलै रानीकेर, अपन शरीरक... Maithili · कविता 252 Share BADRI NATH ROY 6 Oct 2021 · 1 min read बौआ करि ज्ञान के अर्जन, बौआ करि ज्ञान के अर्जन, अहीं पर अछि अास हमर। सकल मनोरथ दीप हमर छी, एक मात्र छी खास हमर।। धर्म हमर छी कर्म हमर छी, पौरुष छी विश्वास हमर।... Maithili · कविता 293 Share BADRI NATH ROY 6 Oct 2021 · 1 min read हमर व्यथा एकलव्य सनक अछि हमर व्यथा एकलव्य सनक अछि हारल आऔर झमारल। कतेक दिन रहबै हम वंचित, जियब उपेक्षाक मारल।। अंगुठा पहिनहि काटल गेल, हम ग्रसित छी कुण्ठासँ। रखने छी हम प्राण देहमे की... Maithili · कविता 249 Share BADRI NATH ROY 6 Oct 2021 · 1 min read मैथिल_के माछी मैथिल मच्छर मैथिल मैथिल मिथिलाक पवन वसात..। घास-पात सेहो अछि मैथिल काँटक सहित मखानक पात..।। चूरा-दही चिन्नियोँ अछि मैथिल तरुआ आ तिलकोरक पात। अँमट अँचार सेहो अछि मैथिल तुलसीफूल... Maithili · कविता 234 Share BADRI NATH ROY 6 Oct 2021 · 1 min read मिथिलाञ्चल विश्व मे ,ज्ञान गरिमाक धाम छल। मिथिलाञ्चल विश्व मे ,ज्ञान गरिमाक धाम छल। सभ्यताक विस्तृत क्षेत्र मे, विद्वताक ठाम छल।। नैतिकताकेर बनिञा,जखनहिं नगरमे जन्मलेल। मिथिलाक संस्कृति संङ पाण्डित्य,तखनहिं विलुप्त भेल।। विद्वताक स्थान ग्रहण कएने ,शराब अछि।... Maithili · कविता 416 Share BADRI NATH ROY 6 Oct 2021 · 1 min read अंग मे उमंग मार अनंग उघार देखि, वसन विहीन तन तरुणी कें देखिक', मन होइए पीबि ली खौलैत इनहोर पाइन के। आनी हम मखान पात पोछी अपन मुह हाथ, आगिसँ जुड़ाली हम दग्धल चाइनके।। कुन्तल कोमल मुख... Maithili · कविता 1 510 Share BADRI NATH ROY 6 Oct 2021 · 2 min read अर्थकहीन अर्थकहीन मनोरथ सभटा, छल सपना सपने रहि गेल। देखब कहिया दिन सुदिन हम, दग्ध हृदय जरिते रहि गेल।। छल द्वेष दंभसँ दूषित समाज, उपहासे मात्र करइए। मन मारि अपमान सहै... Maithili · कविता 266 Share