"जीय$अउरी जीये द$"(भोजपुरी कविता), भटक कर आतंक की राह पर जाने वाले युवाओं को समर्पित |
1-बाड़े सन हर देश में कुछ अइसन गद्दार, जवना चलते सिसकता, मानवता-संसार | जाति धर्म ना बा कवनों, दहशत फइलावल मकसद बा, ना क्षमा, दया इनका अंदर, ना कवनों इनके...
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