Arun Kumar Tag: कविता 18 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Arun Kumar 4 Jun 2023 · 1 min read वीणापाणि वेदमाता! वीणापाणि वेदमाता!, दिव्यालंकारभूषिता, वर दे। सर्वत्र व्याप्त, भूमण्डल मे, अज्ञान तिमिर, को छिन्न- भिन्न कर, ज्ञान -ज्योति से, मानव के अन्तर्तम को, ज्योतिर्मय कर, जगमग, कर दे। मानवीय मेधा को,... Poetry Writing Challenge · कविता 1 153 Share Arun Kumar 4 Jun 2023 · 1 min read दयनीय वृद्धावस्था शतरूपा सी कतिपय वृद्धाऐं, मनु मानिंद सम्मान्य वृद्ध अति, देवभूमि के पथ विभिन्न पर, दृश्यमान लाचार निराश्रित। क्रूर काल के कर कठोर ने, निस्तेज चारु मुखमण्डल पर, वक्र शिरामय रेखाओं... Poetry Writing Challenge · कविता 91 Share Arun Kumar 4 Jun 2023 · 1 min read मैं क्यों अब जाऊँ मधुशाला अनुपम शिल्प कला कौशल से, प्रस्तर तल पर निर्मित आकृति, मानो बोल पड़ेगी पल में, प्राकृतिक ऐसी बाला सुकृति। रूपराशि यौवन अतुल्य, उस शिल्पकार की कलाकृति, चैतन्य विना भी मृदु... Poetry Writing Challenge · कविता 250 Share Arun Kumar 4 Jun 2023 · 1 min read चाँदनी चूमती थी कभी जिनके पग चाँदनी चूमती थी कभी जिनके पग, तम में गहन अब कहीं खो गये हैं, धरा के सितारे रहे जो कभी थे, सितारों में अम्बर के चिर सो गये हैं। छलकते... Poetry Writing Challenge · कविता 210 Share Arun Kumar 4 Jun 2023 · 1 min read अद्भुत मानव मन मानव-मन कितना अदभुत, कितना चंचल है धरती पर, कल्पना शक्ति का यही केन्द्र, उदभूत यहीं पर अभिलाषा। आकर्षण, लोभ बाँछना के, उत्पत्ति-कारक तत्व प्रभावी, सकल ज़रूरत भूतल पर, होतीं परिणाम... Poetry Writing Challenge · कविता 305 Share Arun Kumar 4 Jun 2023 · 1 min read बाल कृष्ण लीला रहस्य बाल कृष्ण ने लीलाऐं कर, संदेश सूक्ष्म अति दिये विश्व को, कृष्ण मुरारी नटवर माधव, नाम दिये शुचि जनमानस ने। नवनीत दधि शुचि सार तत्व, होता ज्यों मात्र दुग्ध का... Poetry Writing Challenge · कविता 300 Share Arun Kumar 4 Jun 2023 · 1 min read कुटिल वक्र रेखाऐं कुटिल वक्र रेखाएँ उरतल, खिंची,मिटी न कभी मिटाऐ, ताक रही मृत्यु जीवन को, सत्य किंतु उर को न भाऐ। पश्चाताप प्रवृत्ति दृग में, नहीं तनिक छविमान कहीं, जीवन में प्रतिशोध... Poetry Writing Challenge · कविता 235 Share Arun Kumar 4 Jun 2023 · 1 min read क्यों है अँधियारों में जीवन कलिका, प्रतिपल रंग बदलती क्यों है, क्यों होते परिवर्तन अप्रियतर, अखियाँ प्रायः छलकती क्यों हैं। जीवन की संध्या में, अचरज, नियति संग बदलती क्यों है, ठोकर खाती... Poetry Writing Challenge · कविता 179 Share Arun Kumar 4 Jun 2023 · 1 min read चेतना हो? निसंदेह निर्झर की झर झर मेंं, नदियों की कलकल मेंं, सागर की सरगम मे, कौन हो तुम? चेतना हो? निसंदेह। विहगों के कलरव मेंं, भ्रमरों के गुँजन मेंं, कोकिल के मधु... Poetry Writing Challenge · कविता 1 187 Share Arun Kumar 3 Jun 2023 · 1 min read विकारग्रस्त मेधा शुचि मोह, दंभ से आवृत मेधा, सत्यासत्य से सदा अपरिचित, विवेक-शून्य हो मानव प्रतिपल, स्वयंसिद्ध होता नित पशुवत। स्वयं मात्र आत्मसंतुष्टि हितार्थ, प्रिय संबंधों में कटुता भर लेता, बाँटा करता... Poetry Writing Challenge · कविता 171 Share Arun Kumar 3 Jun 2023 · 1 min read माँ होती तो कैसी होती माँ होती तो ऐसी होती, माँ होती तो वैसी होती, जीवनभर अनबुझी पहेली, माँ होती तो कैसी होती । क्या वत्सल गो माता जैसी, या नीरद में निहित नमी सी,... Poetry Writing Challenge · कविता 1 452 Share Arun Kumar 3 Jun 2023 · 1 min read माँ "माँ" मात्र नहीं कोई शब्द एक, अनुभूति सरस अभिव्यक्ति चारु की, शुचि मातृ-अंक सौभाग्य सुनिश्चित, मानव जीवन के शैशवाँस का। शुचि पंचम वेद अवनि के तल पर, सुस्मृति मधुरतम मनस... Poetry Writing Challenge · कविता 1 192 Share Arun Kumar 3 Jun 2023 · 1 min read मानव प्रजाति मानव-प्रजाति बहुरंगी अदभुत, स्वार्थ-सिद्धि हित अगणित चाल, नित स्वयं ईश को भी छल जाता, पर दिखलाता निज उन्नत भाल। अन्य विभिन्न जीवधारी से भिन्न, मानव महत्व का एकमात्र गुरू, बुद्धि-विवेक... Poetry Writing Challenge · कविता 1 172 Share Arun Kumar 3 Jun 2023 · 1 min read मूल्यवान पल का महत्व जुगनुओं का भी आलोक पर्याप्त है, संकल्प यदि मुक्ति पाना तिमिर से, निस्तेज मालिन्य महीतल पर क्यों, चैतन्य निश्चित चारु मिहिर से। मनस से मनुज क्यों तनावों ग्रस्त, माया से... Poetry Writing Challenge · कविता 1 387 Share Arun Kumar 3 Jun 2023 · 1 min read नश्वर सांसारिकता लोहित धधकती चिताओं के मेले, शुचित धूम के सघन घन अकेले, शमशान के दृश्य यद्मपि भयावह, अटल मृत्यु के सत्य तथ्यों से खेलें। निस्तब्धता के पल क्षण विलक्षण, साक्ष्य देते... Poetry Writing Challenge · कविता 157 Share Arun Kumar 3 Jun 2023 · 1 min read मानव प्रजाति मानव-प्रजाति बहुरंगी अदभुत, स्वार्थ-सिद्धि हित अगणित चाल, नित स्वयं ईश को भी छल जाता, पर दिखलाता निज उन्नत भाल। अन्य विभिन्न जीवधारी से भिन्न, मानव महत्व का एकमात्र गुरू, बुद्धि-विवेक... Hindi · कविता 138 Share Arun Kumar 12 Feb 2021 · 1 min read लिखता रहा तुम्हें खत सुनकर अंतर्तम के मधु-स्वर, लिखता रहा तुम्हें खत प्रिये, लालित्य पदों के मनमोहक, शब्दसौष्ठव अदभुत संग नित। मन में उठी तरल तरंगों एवम, उरभाव उमंगित संवेगों का, सारांश उडेलता रहा... "कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 24 47 1k Share Arun Kumar 12 Feb 2021 · 1 min read लिखता रहा तुम्हें खत सुनकर अंतर्तम के मधु-स्वर, लिखता रहा तुम्हें खत प्रिये, लालित्य पदों के मनमोहक, शब्दसौष्ठव अदभुत संग नित। मन में उठी तरल तरंगों एवम, उरभाव उमंगित संवेगों का, सारांश उडेलता रहा... Hindi · कविता 4 4 293 Share