Arti Sen 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Arti Sen 30 Aug 2022 · 1 min read कदम मेरी मंजिल जो ढूंढू मैं, अर्श की तलबगार सी बनके कमबख्त रास्ते ख़ुद -ब-ख़ुद मुख्तलिफ हो वही फर्श पर ले आते हैं जुर्रत जो करती हूं कभी मंजिल को शिद्दत... Hindi 1 179 Share