अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' Tag: ग़ज़ल/गीतिका 26 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 6 Mar 2018 · 1 min read सदा - ए-दिल ***************************************** *गजल* सदा-ए-दिल इजाजत है सितम कर लो मगर फिर भी दुआ देंगे। तुम्हें तकलीफ गर हो तो ते'री दुनिया भुला देंगे। हमारी हो गयी आदत गमों के संग जीने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 5 2 353 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 19 Feb 2018 · 1 min read मौसमी आवारगी है आपसे मौसमी आवारगी है आपसे। खुशबुओं में सादगी है आपसे। है नजर की जुस्तजू जो एक रू। कुदरतन दीवानगी है आपसे। फूल कलियों चांदनी की नाजुकी। शबनमी अंदाजगी है आपसे। प्यार... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 407 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 7 May 2017 · 1 min read अजनबी सी हवा की लहर हो गयी। *गीतिका* अजनबी -सी हवा की लहर हो गई। कुछ खफा आज शामो-सहर हो गई। एक वो बेखबर है मेरी प्रीत से। और पूरे जहां को खबर हो गई। वो सुनते... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 338 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 1 Feb 2017 · 1 min read सरस्वती वंदना *गीतिका* भाव के शुचि पुष्प लेकर माँ खडे मैं द्वार पर। अब कृपा कर दो भवानी पुत्र की मनुहार पर। मोह के तम से घिरा जीवन भटकता ही रहा। इस... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 361 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 19 Jan 2017 · 1 min read बेटी जो हँस दे तो कुदरत हँसती है। *बेटिया* सामाजिक बगिया में, गुल सम रहती है। बेटी जो हँस दे तो, कुदरत हँसती है। चिंताऐं हर रोज जकड़ लेती मन को। पल में भोली सूरत हर्षा उठती है।... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · ग़ज़ल/गीतिका · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 2 1k Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 8 Dec 2016 · 1 min read नहीं क्यों आजमाया जो शिकायत है अभी बाकी। . *गजल* नहीं क्यों आजमाया जो शिकायत है अभी बाकी। नजर बदनाम है बेशक शराफत है अभी बाकी। जुबां खामोश बैठी है यकीनन कुछ दबा दिल में। किसी अहसास-ए-दिल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 389 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 8 Dec 2016 · 1 min read तेरे आगोश ने दिलवर तेरे आगोश ने दिलवर मुझे जीना सिखाया है। मैं बेजां था मैं वीरां था तूने ही जिलाया है। मतीरे -इश्क में तेरे मैं रुसवा था महब मैं था। तूने ही ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 413 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 8 Dec 2016 · 1 min read ए- इंसान तेरे दिल में ऐ- इंसान तेरे दिल में गुमान क्यूँ है। हकीकत- ए- जहान से अनजान क्यूँ है। नश्तर रहम भुला खुद रूह पर चलाए। फिर क्यों मलाल दिल में अहजान क्यूँ है।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 301 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 2 Nov 2016 · 1 min read आँसू दो चार लिखने हैं। *गीतिका* अभी भारत की' छाती पर कई उद्गार लिखने हैं। हृदय की टीस के आँसू हमें दो चार लिखने हैं। कभी मतभेद का ये युध्द मानव का नहीं थमता। इसी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 376 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 29 Oct 2016 · 1 min read दीपावली *गीतिका* जिंदगी में भरे प्यार दीपावली। हर्ष का सौम्य उपहार दीपावली। दीप बंधुत्व बन झिलमिलाते रहैं। है तिमिर द्वेष की हार दीपावली। कामना पूर्ण हों आपकी शुभ सकल। श्री सहित... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 497 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 26 Oct 2016 · 1 min read सुधा सिंधु से तर निकाली हो जैसे *गीतिका* सुधा सिंधु से तर निकाली हो जैसे। शरद चाँदनी तुम दिवाली हो जैसे। हृदय पुष्प आश्रय सतत पाये जाता। तुम्हीं वह उराधार डाली हो जैसे। भरे भाव भीतर भले... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 254 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 15 Oct 2016 · 1 min read देश भक्ति अब दिलों में झिलमिलाना चाहिए। *गीतिका* देश में दीपक स्वदेशी जगमगाना चाहिए। लोभ से बचकर हमें यह पद उठाना चाहिए। और कितना सोए'गी आत्मा तुम्हारी रात भर। देश के लोगो तुम्हें अब जाग जाना चाहिए।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 547 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 11 Sep 2016 · 1 min read दृग बाण से उर भेद कर *गीतिका* दृग बाण से उर भेद कर पलकें झुका कर चल दिये। फिर से हृदय में प्रेम का इक ज्वार ला कर चल दिये। मधुमास करता प्रेम का है अंकुरण... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 259 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 11 Sep 2016 · 1 min read गीतिका *गीतिका* उम्र बीतती जा रही, भज ले मुरलीधर। छोड जगत की चाकरी, बन हरि का चाकर। वही सत्य शाश्वत अचल, प्रेमार्णव सुखदा। एक वही रस कुंभ है, मधुराधिपति मधुर। हरता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 518 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 1 Aug 2016 · 1 min read जग को सजाने चला हूँ जग सजाने चला हूँ ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ *गीतिका* दशा मैं हृदय की बताने चला हूँ। स्वयं के प्रभो को मनाने चला हूँ। जगत जिस जहर से जला जा रहा है। अनल द्वेष... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 327 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 28 Jul 2016 · 1 min read सूर्य को आंखें दिखाना आ गया *गीतिका* सूर्य को आंखें दिखाना आ गया। आंधियों में पग जमाना आ गया। फौजियों के हौसले को देखकर। मुश्किलों में पग बढाना आ गया। मृत्यु के मुख धैर्य उनका देखकर।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 455 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 19 Jul 2016 · 1 min read कब तक पीर छुपाएं सैनिक *गीतिका* कब तक पीर छुपाएं सैनिक, कब तक रक्त गिरायें। विलखाती व्याकुल घाटी की, कब तक व्यथा छुपायें। निकल रहे बरसाती मेंढक, निज औकात बताकर। दूध- मुखी विष-कुंभों को हम,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 636 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 7 Jul 2016 · 1 min read इजाजत है सितम कर लो ***************************************** *गजल* सदा-ए-दिल इजाजत है सितम कर लो मगर फिर भी दुआ देंगे। तुम्हें तकलीफ गर हो तो ते'री दुनिया भुला देंगे। हमारी हो गयी आदत गमों के संग जीने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 378 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 7 Jul 2016 · 1 min read पथिक पग अपने बढाये चला जा * गीत * पथिक पग अपने बढाये चला जा। उत्साह मन में समाये चला जा। शम्मा बुझेगी तू रुकना नहीं। जुनूं के दिये जलाये चला जा। नदियाँ रुकी हैं कहाँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 476 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 7 Jul 2016 · 1 min read इक नजर *गीतिका* मापनी-122 122 122 12 हमें आपकी इक नजर चाहिये। कयामत भरी बा-असर चाहिये। बना आशियां हम जहां पर रहें। हमें प्रेम का वो शजर चाहिये। न हों बंदिशें ही... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 344 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 2 Jul 2016 · 1 min read भरो हुंकार *गीतिका* करो प्रत्यंचा की टंकार। क्रांति भाव का करो व्यापार। बिना भय के माने कोई न। भरो तुम रोषमयी हुंकार। सुकृत उपसृत कर उर में आप। मोह का तम कर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 307 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 30 Jun 2016 · 1 min read क्रांति *गीतिका* वतन में उपद्रव बहुत छा गया है। पुनः क्रांति का अब समय आ गया है। चढा जा रहा चीन उसको भुला दो । हमें लूट आंखे दिखाता गया है।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 341 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 26 Jun 2016 · 1 min read भाव विहग भर रहे उडान *गीतिका* भाव विहग भर रहे उडान। उर नभ में हो रहा वितान। सौम्य सुभगता का उपसार। गुंजित मधुकर सम मृदु गान। नवल सृजन शुचि नये विकल्प। लुप्त आज होता अवसान।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 554 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 25 Jun 2016 · 1 min read शारदा वंदन *गीतिका* हे शारदे कपाल झुकाते सदैव हैं। हम आपको भवानि रिझाते सदैव हैं। हो बाँटती प्रसाद विमल प्रेम तत्व का। हम भाव के प्रसून चढाते सदैव हैं। सद्ज्ञान के कपाट... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 369 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 25 Jun 2016 · 1 min read मेरा भारत *मुक्तक* है सदाचार की गंगा, संस्कृति से सज सुरभित है। बंधुत्व नाम का अक्षर, उर अंतस में अंकित है। मुनियों के तप से तपकर, निखरी वसुधा भारत की। जिस पर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 227 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 5 Jun 2016 · 1 min read गीतिका *गीतिका* शनै: से पुष्प फिर से मुस्कुराया। हवा ने फिर नया इक राग गाया। मधुर मुख माधुरी मोहित किये थी। निशाकर देख अतिशय खिलखिलाया। भ्रमर भ्रमवश समझ कर फूल देखो।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 588 Share