पंकज ललितपुर Language: Hindi 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid पंकज ललितपुर 10 May 2022 · 1 min read poem गैरत पर कब कहां नवाजिश होती हैं। खुद्दारों से कहीं गुजारिश होती हैं? हम तो पंकज प्यास पे जिंदा रहते हैं। सहराओं पर कितनी बारिश होती है? पंकज अंगार 8090853584 Hindi · मुक्तक 1 437 Share