ASHOK SINGH 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid ASHOK SINGH 7 Nov 2018 · 1 min read माँ निश्च्छल निर्मल सृजन शाश्वत, चिर जीवन सम प्राण है। मात! सर्जना अंतहीन है, जगती सकल विधान है । देवी करुणा विश्व नियंता, बृहद व्योम हितकारी माँ। पुत्र मोह सी सच्ची... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 8 27 1k Share