Ajay Kumar Vimal Tag: मुक्तक 4 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Ajay Kumar Vimal 14 Jun 2023 · 1 min read 10-भुलाकर जात-मज़हब आओ हम इंसान बन जाएँ उदासी से भरे चहरों की हम मुस्कान बन जाएँ घृणा के दौर में भी प्रेम की पहचान बन जाएँ हमारे देश की मिट्टी किसी से भेद कब की है भुलाकर... Poetry Writing Challenge · मुक्तक 187 Share Ajay Kumar Vimal 14 Jun 2023 · 1 min read 9-अधम वह आदमी की शक्ल में शैतान होता है वो जिसका आबरू से खेलना अरमान होता है हवस की भूख में अंधा वही इंसान होता है जहाँ में नारियों की अस्मिता को लूटने वाला अधम वह आदमी की शक्ल... Poetry Writing Challenge · मुक्तक 243 Share Ajay Kumar Vimal 14 Jun 2023 · 1 min read 8-मेरे मुखड़े को सूरज चाँद से माँ तोल देती है कभी कुछ माँग लूँ माँ से तो बाहें खोल देती है लगा छाती मुझे वो प्रेम भी अनमोल देती है अगर कोई उसे कह दे कि काला है तेरा बेटा... Poetry Writing Challenge · मुक्तक 464 Share Ajay Kumar Vimal 14 Jun 2023 · 1 min read 1-कैसे विष मज़हब का फैला, मानवता का ह्रास हुआ बेच दिए भारत की थाती, माना बहुत विकास हुआ जो देता गाँधी को गाली, वहीं तुम्हारा खास हुआ पूछ रही है भारत माता, उसको यह बतला दो ना कैसे विष... Poetry Writing Challenge · मुक्तक 498 Share