आनन्द बल्लभ 4 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid आनन्द बल्लभ 22 Apr 2022 · 1 min read पिता जीवन सौर में पिता जीवन सौर में मेरी प्राणवायु थे तुम । उड़ सकूं उन्मुक्त नभ, यति-प्रज्ञ मन उपाय थे तुम । बालक्रीडा जब करूं, तत्पर धरा विस्तार थे तुम । द्वन्द में... Hindi · कविता 3 210 Share आनन्द बल्लभ 26 Oct 2020 · 1 min read शिव शंकर कैलाशपति (घनाक्षरी छंद) (१) काल के कपाल में तिलक जैसा सोहता जो, कण - कण में विराजता हुआ सुवक्त हूँ । काम, क्रोध, लोभ, मोह, त्याग संत औ सुजान- जैसा ही... Hindi · घनाक्षरी 6 3 414 Share आनन्द बल्लभ 2 Dec 2018 · 1 min read परिस्थितियाँ कली के भीतर बंद था, भ्रमर मन ही मन कंत था, न उपाय सूझा न स्थिति बूझा, बस फड़फड़ाता तंग था । सीमा स्वछंद न होकर के उसकी, घुट रहा... Hindi · कविता 5 2 620 Share आनन्द बल्लभ 10 Nov 2018 · 1 min read माँ वेदों के बोल हैं चले गये तुम छोड़ अकेला कैसे पीड़ा दर्द सहें अब, निर्जन नीरव से जीवन में कैसे बिन तेरे रहें अब ? सब कुछ मिल जाये इस जग में पर माता... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 54 313 4k Share