Vivek Bhushan Tag: कविता 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Vivek Bhushan 23 May 2022 · 1 min read वही मेरा है वतन हिल उठते हैं सिंहासन, जब सिंह की आवाज होती है। काशी में शंख बजता है, अजमेर में नमाज होती है। जहाँ का कण-कण है बलिदानी, माटी-माटी है चन्दन; वही मेरा... Hindi · कविता 241 Share Vivek Bhushan 15 Oct 2019 · 1 min read उड़ चल पंछी अकेले यह निशा घटेगी, भोर आयेगी कोयल जीवन राग सुनाएगी, जब वासंती मधुमासी छायेगी और खिलेंगे पुष्प नये नवेले। उड़ चल पंछी अकेले। उड़ चल पंछी अकेले । ---Vivek Bhushan Pandey Hindi · कविता 251 Share