विनोद कुमार दवे Tag: ग़ज़ल/गीतिका 12 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid विनोद कुमार दवे 7 Jan 2017 · 1 min read कितने अरमान दिल में छुपा लाया है कितने अरमान दिल में छुपा लाया हैं, कोई है शख़्स जो मेरा अपना साया है। ** ** उसकी कमसिन आँखों ने जब से कहा मुझे पागल, मेरा दिल-ओ-दिमाग बड़े शौक... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 452 Share विनोद कुमार दवे 7 Jan 2017 · 1 min read हुस्न को गुरुर किस बात का है, हुस्न को गुरुर किस बात का है, ये चाँद भी बस रात का है। *** *** ये पतझड़ तो मौसम, अश्क़ों की बरसात का है। *** *** वो बरसों से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 515 Share विनोद कुमार दवे 7 Jan 2017 · 1 min read हम खामोश है मगर तुम्हें भूल न पाते हैं हम खामोश है मगर तुम्हें भूल न पाते हैं दिल से सदा देकर तुम्हीं को तो बुलाते हैं। ** और तो क्या करें दुनिया के रिवाजों का, आओ मेरे यार... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 494 Share विनोद कुमार दवे 9 Nov 2016 · 1 min read हम तो हौसला रख के आए थे जिंदगी गंवाने का। ज्यादा जुनून नहीं था मुहब्बत में कुछ पाने का , हम तो हौसला रख के आए थे जिंदगी गंवाने का। करोगे तो जानोगे कि इश्क़ बला क्या है, इश्क़ कोई... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 736 Share विनोद कुमार दवे 9 Nov 2016 · 1 min read उस लम्हा उस लम्हा काश हम थोड़ा ठहर गए होते, जब तेरे दिल में उतर जाना चाहते थे। ** हमने इतने इत्मीनान से उन्हें खो दिया, जितने होश से वो हमे पाना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 433 Share विनोद कुमार दवे 9 Nov 2016 · 1 min read रात की रंजिशें रात की रंजिशें मिटाकर तो देखो, आफताब दिलों में उगाकर तो देखो। सहर कोई जादूगरी,कोई बाजीगरी नही, अंधेरों का गला दबाकर तो देखो। मुश्किलें, दुश्वारियां तो रास्तों की शोभा है,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 295 Share विनोद कुमार दवे 5 Nov 2016 · 1 min read ख़िज़ां के रखवाले बाग में बहार आने नहीं देते ख़िज़ां के रखवाले बाग में बहार आने नहीं देते, मेरे गुलशन के ख़ार ताजी हवा लाने नहीं देते। वो एक नज़र देख लेते मेरे बिगड़े हालात को, तो बदलते मौसम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 412 Share विनोद कुमार दवे 25 Oct 2016 · 1 min read पागल मछली अब हमे यह फ़िक्र नहीं कि वो रूठ जाएगी , ये पागल मछली समन्दर से दूर कहाँ जाएगी। ** किनारों पे मछेरों के जाल पड़े हैं फैले हुए, फंस गई... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 711 Share विनोद कुमार दवे 10 Oct 2016 · 1 min read डर लगता है डर लगता है इन रातों से, इन रातों से डर लगता है, कब कौन कहाँ कैसे होगा, इन बातों से डर लगता है। पलकों के सपनो को अपने अश्कों में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 536 Share विनोद कुमार दवे 27 Sep 2016 · 1 min read उनकी पायल में कितने सावन बरसे होंगे एक ही पल में, जब घुंघरू खनका होगा उनकी पायल में, अरमानों के बादल में कोई आग लगाने आ जाए, हंसने की किसको चाहत है,वो मुझे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 505 Share विनोद कुमार दवे 23 Sep 2016 · 1 min read ग़ज़ल इतनी कोशिशों के बाद भी तुम्हें कहाँ भूल पाते है दीवारों से बचते है तो दरवाजे टकराते है। कौन रुलाए कौन हँसाए मुझको इस तन्हाई में ख़ुद के आंसू हाथों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 770 Share विनोद कुमार दवे 4 Sep 2016 · 1 min read वृद्धाश्रम में माँ बाप ने मन्नतो का ढ़ेर लगाया होगा तब कहीं जाकर घर का चिराग पाया होगा तेरी सलामती खातिर दुआ अर्ज़ करने कई मंदिरों मस्जिदों मजारो पे शीश नवाया होगा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 615 Share