उमा शर्मा Tag: बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid उमा शर्मा 23 Jan 2017 · 2 min read बेटियाँ तो बाबुल की रानियाँ हैं मन का मृदंग हैं, भाव हैं, तरंग हैं, कल्पनाओं की पतंग हैं निर्झर, निर्मल, नेह भरी, ये वात्स्ल्य पूर्ण रवानियाँ हैं फिर भी बोलो आखिर क्यों ये, सबकी पहली परेशानियाँ... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 4 2k Share