सतीश तिवारी 'सरस' Tag: कविता 15 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid सतीश तिवारी 'सरस' 31 May 2023 · 1 min read साधक जलहरण घनाक्षरी छंद (8,8,8,8) -- दम हो आराधना में साधक की साधना में, कहते हैं संत ऐसा मिलते हैं हरिहर। निषकाम साधना ही होती है फलित प्यारे, परहित करने को... Poetry Writing Challenge · कविता · घनाक्षरी छंद 369 Share सतीश तिवारी 'सरस' 29 May 2023 · 1 min read ज़रूरत ज़िन्दगी में प्यार की बेहद है ज़रूरत, वीणा में जैसे तार की बेहद है ज़रूरत। मत वासना का नाम दो इसको मेरे सखे, मन में रमे सितार की बेहद है... Poetry Writing Challenge · कविता · मुक्तक 1 390 Share सतीश तिवारी 'सरस' 29 May 2023 · 1 min read एक मुक्तक *एक मुक्तक* तुलसी ही सच्चे प्यार की कीमत है जानती, सच पूछिये तो यार मुहब्बत है जानती। पलता हृदय में प्यार कहे मीत से प्रायः, होती कोई तो खास जो... Poetry Writing Challenge · कविता · मुक्तक 1 243 Share सतीश तिवारी 'सरस' 20 Mar 2019 · 1 min read होली (1) इसकी होली उसकी होली मँहगाई सँग खिसकी होली। (2) गाती होली भाती होली रंगों के सँग छाती होली। (3) रुकती होली चलती होली रंग वदन पर मलती होली। (4)... Hindi · कविता 1 349 Share सतीश तिवारी 'सरस' 21 Jun 2018 · 1 min read महज़ सपना बहुत दिन हुए नहीं बात की किसी अपने से/बहुत दिन हुए मुलाक़ात नहीं हुई हृदय में उमड़ते सपने से/बहुत दिन हुए नहीं पी चाय किसी अपने के घर बैठ/बहुत दिन... Hindi · कविता 1 382 Share सतीश तिवारी 'सरस' 5 Feb 2018 · 1 min read बलि-बलि जाऊँ कहती क्या,जाने ऋतु बसंत मन का बसंत सूना-सूना है पास नहीं मनमीत कोई, यह दर्द बढ़े निशिदिन दूना। हो गया प्रकृति से हृदय दूर फिर गीत प्यार के गाये क्या,... Hindi · कविता 1 437 Share सतीश तिवारी 'सरस' 15 Sep 2017 · 1 min read हे,प्रियवर...! मैं नहीं देता बधाई हिन्दी दिवस की आखिर क्यों दूँ? हिन्दी हमारी न सिर्फ़ मातृभाषा अपितु है राष्ट्रभाषा भी अतः क्यों बाँधें हम उसे किसी दिवस विशेष के दायरे में??... Hindi · कविता 1 307 Share सतीश तिवारी 'सरस' 12 Jun 2017 · 1 min read वक़्त-वक़्त की बात..... पहले जब कभी आते थे वह मेरे शहर तब मिलते थे मुझसे सबसे पहले पर अब आते हैं चुपके से शहर की महफ़िलों में और चले जाते हैं हौले से... Hindi · कविता 1 534 Share सतीश तिवारी 'सरस' 9 Jun 2017 · 1 min read ...यह क्या..! चिड़िया उड़ी लेकर आशा छाया की वृक्ष की ओर/पर यह क्या? इससे पहले कि वह शरण गहती वृक्ष की/पत्ते झड़ गये सारे गर्मी के कारण देखकर नज़ारा शांत थी शाखायें... Hindi · कविता 1 262 Share सतीश तिवारी 'सरस' 28 May 2017 · 1 min read हम के लिये 'मैं' 'मैं' है और 'तुम' 'तुम' अतः क्योंकर भिड़ना किसी के 'मैं' से? यह जानते हुये भी कि न तो 'मैं' 'तुम' हो सकता है और न ही 'तुम' 'मैं'... Hindi · कविता 1 387 Share सतीश तिवारी 'सरस' 20 Mar 2017 · 1 min read काश! पुनः लौटें दिन... चिट्ठियाँ नहीं आतीं अब अपनों की आते हैं कॉल औपचारिकता निभाने जबकि चिट्ठियाँ सिर्फ़ सम्बन्ध निभाने का जरिया नहीं अपितु परिचायक होती थीं कि लिखी गयीं वह भीतर से उठने... Hindi · कविता 444 Share सतीश तिवारी 'सरस' 17 Mar 2017 · 1 min read समाये रहें रंग... लो आ गयी रंगपंचमी आज पर फीका है जीवन का रंग नहीं पास में स्थायी रोज़गार का रंग और न ही जीवन में रस भरने वाली एक सौम्य-संगिनी का संग... Hindi · कविता 367 Share सतीश तिवारी 'सरस' 16 Mar 2017 · 1 min read गीत लिखूँ क्या? भाव अभी अज्ञातवास पर गीत लिखूँ क्या, दोस्त ही खंजर भोंकने तत्पर गीत लिखूँ क्या? ००० आज वही निज साथ छोड़कर ऱूठ गये, जिनका साथ दिया पग-पग पर गीत लिखूँ... Hindi · कविता 486 Share सतीश तिवारी 'सरस' 24 Feb 2017 · 1 min read काश.... एक पत्नी का होना भी ज़रूरी है जीवन में/ऐसा मुझे लगता है पल-प्रतिपल/क्योंकि कुछ बातें ऐसी होती हैं ज़िन्दगी में जिन्हें बहन तो क्या माँ से भी साझा नहीं किया... Hindi · कविता 2 669 Share सतीश तिवारी 'सरस' 31 Jan 2017 · 1 min read हे,मन बढ़तों का हाथ थामते लोग समझ रहे ख़ुद को तीसमारखाँ जो देते रहे साथ उनका हरदम उनको छोड़कर थाम रहे हाथ तथाकथित रहनुमाओं का पाते रहे जिनसे प्रशंसा हरदम अच्छे... Hindi · कविता 1 350 Share