Rishikant Rao Shikhare Tag: कविता 11 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Rishikant Rao Shikhare 5 Aug 2019 · 1 min read तन है सबका मिट्टी तन है सबका मिट्टी। सृष्टि के निर्माण से खेल रहा आदमी। अब कहां पाएगा हरा मैदान आदमी। धूप ही धूप मिलेगी हर जगह, छाँव कहाँ? कच्ची कलियाँ नोचकर बना हैवान... Hindi · कविता 219 Share Rishikant Rao Shikhare 5 Aug 2019 · 1 min read नज्म जाज़िब तर्जुमान। पहली गली में आखरी मकान किसका है? खुशबूदार हवाओं में फरमान किसका है? बे-अन्दाज़ा लुभाती है मोतीचूर के लड्डू, बे-नज़ीर आखिर ये दुकान किसका है? शामें श्रृंगार की... Hindi · कविता 431 Share Rishikant Rao Shikhare 5 Aug 2019 · 1 min read चौकीदार गम़्माज़ चौकीदार। खिल-खिलाती जिंदगानी लिखूं। बहते हुए दरिया का पानी लिखूं। एहतियातन याद न रखूं एहसासअपने, एहतियाज होतो पूरी मुंहजबानी लिखूं। मोहब्बती ताजसजा अब्र केफलक पर, अहलियाके आंखोंकी निगहबानी लिखूं।... Hindi · कविता 465 Share Rishikant Rao Shikhare 5 Aug 2019 · 1 min read भोर भोर (कविता) भोर कितनी प्यासी है, जो हर सुबह मिलने के लिए बेचैन सी आ जाती है। साथ ही साथ मे लाती है, आलसपन को दूर करने का लेप। शाख... Hindi · कविता 469 Share Rishikant Rao Shikhare 5 Aug 2019 · 1 min read शादी का माहौल रुनझुन की शादी । कुछ ऐसी मेरी शादी थी। जब व्याह हमारा तय हुआ, पास में बिल्कुल जाना था। आंखों के सामने व्याह चाहती थी, बस वो एक ही मेरी... Hindi · कविता 514 Share Rishikant Rao Shikhare 12 May 2019 · 1 min read नन्ही सी चिड़ियाँ चीखी थी, चिल्लाई थी, उस दिन वह बहुत घबराई थी। जिस दिन घर ध्वस्त हुआ था, तिनका-तिनका बिखरा पड़ा था। बड़ी मेहनत करके घर अपना सजाई थी, दूर देश से... Hindi · कविता 1 452 Share Rishikant Rao Shikhare 12 May 2019 · 1 min read मां माँ मुझे तेरा प्यार चाहिए। किसी को राम, किसी को रहमान चाहिए, किसी को अल्लाह, किसी को भगवान चाहिए। माँ, मुझे बस तेरा प्यार चाहिए।। किसी को शहंशाह अकबर, किसी... Hindi · कविता 1 406 Share Rishikant Rao Shikhare 3 May 2019 · 1 min read छुट्टी की अर्जी साहब , आज आपसे बात कुछ कहानी है, मेरी पत्नी का जन्मदिन है इसलिए छुट्टी जल्दी करनी है। फूल - पताके ले जाने है, थाली में दीप सजाने है। छुट्टी... Hindi · कविता 1 349 Share Rishikant Rao Shikhare 26 Apr 2019 · 1 min read वीर रस चीते की चाल हो, सिंह की दहाड़ हो। रहो तुम साथ मेरे जैसे नाव की पतवार हो। बुलंद हो हौसला लक्ष्य हमारा साफ हो। उम्मीद की किरण हमेशा हमारे साथ... Hindi · कविता 1 391 Share Rishikant Rao Shikhare 1 Feb 2018 · 1 min read बसंत का महीना। गेंदों की इक टोली बागों में खेल रही थी, सरसों के आँचल हर मन को टटोल रही थी। कुछ हरे कुछ पीले रंगो को समेट रही थी वो नन्हें गुलाबी... Hindi · कविता 1 339 Share Rishikant Rao Shikhare 3 Jun 2017 · 1 min read Romiyo ना पूछ मेरे सब्र की इंतेहा कहाँ तक हैं, तू सितम कर ले, तेरी हसरत जहाँ तक हैं, वफ़ा की उम्मीद, जिन्हें होगी उन्हें होगी, हमें तो देखना है, तू... Hindi · कविता 1 440 Share