Rishikant Rao Shikhare Tag: मुक्तक 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Rishikant Rao Shikhare 5 Aug 2019 · 1 min read एक लब्ज 'मां' एक लब्ज 'माँ' जब भी "मां" मुझे बुलाती है, फिजायें दौड़ी चली आती है। नर्म शाखों की शबनमी बूँद छू लूँ, माँ उंगली पकड़ चलना सिखाती है। आज भी लगाकर... Hindi · मुक्तक 409 Share